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कोई भूखा न सोएं… जरूरतमंद लोगों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं है ‘इडली अम्मा’

Recently updated on July 25th, 2024 at 12:42 pm

हर किसी का जीवन संघर्षों से भरा होता है, लेकिन ये मायने रखता है कि आप अपने जीवन को कैसे जीते हैं? कुछ लोग अपने लिए जीवन जीते हैं, तो कुछ अपना जीवन दूसरों को समर्पित कर देते हैं। इस बीच हमारे सामने कुछ ऐसी प्रेरणादायक कहानियां आती रहती हैं, जो हमें जीवन जीने का रास्ता दिखाती हैं। ये कहानियां दिखाती हैं कि आज के समय में भी कुछ लोगों ने इंसानियत को जिंदा रखा हुआ है। ये लोग इंसानियत की मिसाल बन जाते हैं।

आप तो जानते ही हैं कि आज के समय में महंगाई कितनी ज्यादा हैं। ऐसे में लोगों के लिए अपना गुजारा करना मुश्किल होता हैं। ऐसे वक्त में एक महिला हैं, जिनका काम ही उनकी पहचान बन चुका है। हम जिनके बारे में बात कर रहे हैं दरअसल वे एक दादी हैं, जिनकी उम्र 85 साल के आसपास की हैं। वो केवल एक रुपये में लोगों को भरपेट इडली-सांभर का नाश्ता कराती हैं। इसके लिए वो इडली अम्मा के नाम से भी काफी मशहूर हैं।

आप सोच सकते हैं कि आजकल एक रुपये में आखिर आता ही क्या है? लेकिन वो इतने में ही लोगों को इडली-सांभर खिलाती आ रही हैं। इन अम्मा का नाम के. कमलाथल है। वो तमिलनाडु के पेरु के नजदीक एक गांव में रहती हैं। वो मात्र एक रुपए में लोगों को सांभर-इडली बेचने के लिए जाना जाता है और वो एक-दो नहीं बल्कि 30 से भी ज्यादा सालों से ऐसी ही करती नजर आ रही हैं।

idli amma story

80 साल की उम्र जीवन का वो पड़ाव हो जाता है, जब इंसान थक जाता है और ज्यादा काम करने में असमर्थ हो जाता है। लेकिन इस उम्र में भी जिस तरह इडली अम्मा काफी एक्टिव रहती हैं और ऐसा कर युवाओं को प्रेरित करती हैं। आज से कुछ सालों पहले इनकी कहानी काफी सुर्खियों में आई थीं, तब उन्होंने कहा था कि उनका उद्देश्य लोगों को अच्छा और सस्ता भोजन कराना है।

इडली अम्मा ने अपनी बचत को लेकर कहा था कि वो यहां दिनभर काम करके 200 रुपये कमा लेती हैं, जो उनका गुजारा करने के लिए काफी हैं। कई लोग उन्हें यह भी कह चुके हैं कि उन्हें अब अपनी इडली के दाम बढ़ा लेना चाहिए लेकिन उनके लिए लोगों का पेट भरना ज्यादा महत्व रखता है इसलिए उन्होंने इसके दाम नहीं बढ़ाए। इडली अम्मा की ये कहानी जाने-माने बिजनेसमैन आनंद महिंद्रा के दिल को भी छू गई और उन्होंने उनको तोहफे में एक घर भी दिया।

आज के समय में संसार केवल दो ही चीजों से चलता है और वो है फायदा और नुकसान। बड़े से बड़ा उद्योगपति भी अपने फायदे देखकर ही हर काम करता हैं। लेकिन इस दुनिया में ऐसे भी कई लोग हैं जो फायदे-नुकसान की न सोचकर जरूरतमंद लोगों की सेवा करते हैं। ये लोग चाहते हैं कि कोई भी व्यक्ति भूखा न सो पाएं। इडली अम्मा इसका केवल एक उदाहरण हैं। आप देखेंगे कि कैसे अलग-अलग धार्मिक स्थल फिर चाहे वो मंदिर हो, मस्जिद या गुरुद्वारे में रोजाना हजारों-लाखों लोगों को निशुल्क मुफ्त भोजन प्रदान कराया जाता है। कई मंदिरों में रोजाना भंडारा होता है। गुरुद्वारों में बिना धर्म-जाति देखें हर किसी को साथ बैठाकर लंगर कराया जाता है।

जिस तरह तमिलनाडु की ये इडली अम्मा महज एक रुपये में लोगों को इडली-सांभर का स्वादिष्ट नाश्ता कराती हैं। उसी तरह एक अनूप खन्ना नाम के व्यक्ति दादी की रसोई चलाते हैं। इस बढ़ती महंगाई में केवल पांच रुपए में वो सैकड़ों लोगों को पेटभर भोजन कराते हैं।

 dadi ki rasoi

ये लोग जो लोगों को कम से कम पैसों में भोजन उपलब्ध कराते हैं, इसके पीछे इनका कोई स्वार्थ नहीं छिपा होता। क्योंकि ये लोग मानते हैं कि नर सेवा ही नारायण सेवा होती हैं, यानी जो लोग जरूरतमंदों की सेवा सहायता करते हैं, वे सच्चे समाजसेवी हैं। दर्शकों इस पर आपकी राय क्या हैं, हमें जरूर बताएं।

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