Friday, November 22, 2024
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तलाक को लेकर बड़ा फैसला: जरूरी नहीं होगा छह महीने का इंतेजार, जानिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मायने

सोमवार को तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि अगर किसी पति-पत्नी का रिश्ता उस स्तर पर पहुंच गया, जब वो टूट चुका हो और सुलह की गुंजाइश ही न बची हो, तो वह यानी सुप्रीम कोर्ट भारत के संविधान के आर्टिकल 142 के तहत बिना फैमिली कोर्ट भेजें तलाक को मंजूरी दे सकता है। ऐसे मामलों में छह महीनों का इंतजार करना अनिवार्य नहीं होगा।

पांच जजों की पीठ का फैसला

कोर्ट की ओर से कहा गया है कि उसने वे फैक्टर्स तय किए हैं जिनके आधार पर शादी को सुलह की संभावना से परे माना जा सकेगा। इसके साथ ही कोर्ट यह भी सुनिश्चित करेगा कि पति-पत्नी के बीच बराबरी कैसे रहेगी, जिसमें मेंटेनेंस, एलिमनी और बच्चों की कस्टडी शामिल है। आपको बता दें कि यह फैसला जस्टिस एसके कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस एएस ओका और जस्टिस जेके माहेश्वरी की संविधान पीठ ने सुनाया है।

फैसला रखा था सुरक्षित

दरअसल, अब तक ऐसा होता था कि तलाक के लिए पति-पत्नी को 6 महीने तक इंतजार करना पड़ता था। हालांकि अब कुछ मामलों में फैमिली कोर्ट की बजाये सीधे सुप्रीम कोर्ट से तलाक लिया जा सकता है। आपको बता दें कि इससे पहले 29 सितंबर 2022 को पीठ ने तलाक के मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। तब अदालत की ओर से कहा गया था कि सामाजिक बदलाव में थोड़ा समय लगता है। कभी-कभी कानून लाना आसान हो जाता है, लेकिन समाज को इसके साथ बदलने के लिए तैयार करना कठिन हो जाता है। अदालत ने सुनवाई को दौरान भारत में विवाह में एक परिवार की बड़ी भूमिका निभाने की बात को स्वीकार किया था। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के सामने कई याचिकाएं दायिर हुई थीं, जिसमें कहा गया था कि क्या आपसी सहमति से तलाक के लिए भी इंतजार करना जरूरी है?

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