भगवन महाकाल ही चलाते है समय को
बता दें कि भगवान शिव को भस्म धारण करते हुए केवल पुरुष ही देखते है। महिलाओं को उस वक्त घुंघट लेना अनिवार्य होता है। उज्जैन में मान्यता है की भगवन महाकाल ही समय को चलाते है और उन्होंने ही कालभैरव काल का नाश किया है। बता दें कि महाकाल मंदिर में चार आरती होती है, सुबह होने वाली भस्म आरती के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से उज्जैन पंहुचते है। कहते है कि यहां आने वाले श्रद्धालु जो भी इच्छा महाकाल से मांगते है वो जरूर पूरी होती है। महाकाल मंदिर में सभी हिन्दू त्यौहार सबसे पहले बनाने की परम्परा भी है। इसके अलावा समूचे विश्व में भगवन शिव के विवाह उत्सव से पूर्व 9 दिन बाबा का अलग-अलग रूप में श्रृंगार किया जाता है, जिसको शिवनवरात्र कहा जाता है।
उज्जैन में कभी कोई नेता रात में नहीं रुकता
महा शिवरात्रि के दिन बाबा महाकाल को दूल्हे की तरह सजाया जाता है, जिसमे बड़ी संख्या में श्रद्धालु सम्मलित होते है। उज्जैन में ये मान्यता है की शहर में एक ही राजा हो सकता है, जो हैं महाकाल और यहां कोई दूसरा राजा रात को नहीं रुक सकता, क्योंकि उनसे बड़ा इस श्रष्टि में कोई नहीं है और अगर कोई राजा व नेता शहर में रात में रुकेगा तो उसकी मौत हो जाएगी या उसकी सत्ता चली जाएगी। इसीलिए उज्जैन में कभी भी मुख्यमंत्री या नेता रात में नहीं रुकते लेकिन अगर किसी को रात में रुकना है तो शहर से 15 किमी दूर रुक सकते है।