कुर्सी की लड़ाई सभी जगह है, पद कांग्रेस का हो या फिर किसी और पार्टी का। सभी जगह किस्सा कुर्सी का ही है। अब नई लड़ाई बीसीसीआई अध्यक्ष पद को लेकर हो रही है।नया मामला यानी कुर्सी का संग्राम अब बीसीसीआई में छिड़ा है। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कैप्टन सौरव गांगुली बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से हटाए जा रहे हैं। संभवतया उनकी जगह पूर्व क्रिकेटर रोज़र बिन्नी लेंगे।
खुद को हटाए जाने पर सौरव गांगुली ने बड़ी नपी- तुली और अच्छी बात कही। उन्होंने कहा- न तो आप हमेशा क्रिकेट खेल सकते और न ही हमेशा उसके प्रशासक रह सकते। हर किसी को किसी न किसी समय रिटायर होना ही पड़ता है।
लेकिन ममता बनर्जी हैं कि मानतीं नहीं। उनका कहना है कि सौरव हमारे आदर्श हैं। उन्हें ग़लत तरीक़े से हटाया जा रहा है। केंद्र सरकार चाहे तो उन्हें आईसीसी अध्यक्ष पद के लिए लड़ा सकती है। ममता ने यह भी कहा कि सौरव निपट खिलाड़ी हैं और अब तक तमाम कार्य उन्होंने खेल भावना से ही किए हैं। उनके साथ राजनीति नहीं होनी चाहिए।
ममता ने कहा है कि केंद्र सरकार चाहे तो गांगुली को आईसीसी अध्यक्ष पद के लिए लड़ा सकती है। इस पर बंगाल में विपक्ष के नेता और कभी ममता के खास रहे शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि शाहरुख खान को हटाकर दीदी गांगुली को क्यों नहीं बंगाल का ब्रांड एम्बेसडर बना देती हैं।
अब जब ममता बनर्जी ने इतना कुछ बोल दिया तो भारतीय जनता पार्टी कहां चुप रहने वाली थी। ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में गए शुभेंदु अधिकारी भी बोल पड़े। उन्होंने कहा – अगर इतना ही तरस आ रहा है तो ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल का ब्रांड एम्बेसडर शाहरुख़ खान को क्यों बनाया? सौरव को बना देतीं! तब सौरव में ममता ने क्या कमी देखी थी जो अब दूर हो चुकी है?
कुल मिलाकर देखा जाए तो मामला अब दुनिया के सबसे बड़े और महंगे बोर्ड यानी बीसीसीआई की कुर्सी किसकी होगी इसपर आ टिका है। ममता चाहती हैं कि ये कुर्सी दादा यानी सौरव गांगुली को मिले और बीजेपी यह चाहती है कि कुर्सी बेशक किसी को भी मिले लेकिन, ममता की राजनीति न चले।