काशी में महादेव और उन्हीं के रूद्र स्वरूप काशी के कोतवाल कालभैरव का विशेष महत्त्व है। यह शहर सदा से उनकी कृपा दृष्टि में है, ऐसी मान्यता है। और यही वजह है कि जो जानते हैं काशी की परम्पराओं के बारे में वो पहले कालभैरव मंदिर जाते हैं बाद में काशी विश्वनाथ!
लेकिन, हम आपको बताने जा रहे हैं बेहद अनूठी बात। ये बात जुड़ी है काशी के सर्वमान्य कोतवाल बाबा कालभैरव से, वाराणसी में विश्वेश्वरगंज स्थित एक कोतवाली थाना है। अब कोतवाली के कोतवाल कालभैरव को हटा के गद्दी से भला कौन कोतवाल (वर्तमान में SHO) बनने का दुस्साहस करे। संभवतः यह दुनिया का एकमात्र पुलिस स्टेशन होगा, जहाँ थानेदार की कुर्सी पर काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव विराजते हैं। अफसर बगल में कुर्सी लगाकर अलग बैठते हैं। आपको जानकर शायद हैरानी होगी कि सालों से इस पुलिस स्टेशन का निरीक्षण करने कोई भी वरिष्ठ अधिकारी नहीं आया।
यह परंपरा कब से है, यह पता नहीं लेकिन कोतवाली थाने के असली मालिक आज भी कालभैरव ही हैं। कोतवाली पुलिस स्टेशन की एसएचओ की कुर्सी पर काल भैरव की तस्वीर विराजमान रहती है और उसके बगल में रखी कुर्सी पर बैठ कर थाना प्रभारी रुटीन काम करते हैं। बनारस में कोई अधिकारी ज्वाइन करने से पहले काशी विश्वनाथ और बाबा कालभैरव का दर्शन करता है, उसके बाद ही पदभार सँभालता है। यहाँ तक कि जब मोदी जी काशी के सांसद होने की इच्छा से शहर में आए तो सबसे पहले कालभैरव से ही आशीर्वाद लेने गए थे। खैर, जिस थाने के मालिक खुद काशी के कोतवाल हों, वहाँ का निरीक्षण कोई अधिकारी भला कर भी कैसे सकता है।
इसलिए, कोतवाली थाने का कभी निरीक्षण नहीं होता है। अधिकारी वहाँ पर जाते भी हैं तो निरीक्षण नहीं कर पाते हैं। बताते हैं, वर्षों पूर्व एक अधिकारी ने कोतवाली थाने का निरीक्षण करने का दुस्साहस किया था, शाम तक उसका तबादला हो गया था, इसके बाद से अधिकारी भी कोतवाली थाने से दूरी ही बना कर रखते हैं।
जिनको न पता हो उनके लिए बता दें कि कोतवाली थाने के पास ही बाबा काल भैरव का मंदिर है। काशी की इस धार्मिक मान्यता का पुलिस महकमा पूरा ध्यान रखती है।
जय महाकाल
जय कालभैरव