दिल्ली में शराब घोटाला और उसपर खबरें कोई नई बात नहीं है. आए दिन मीडिया में मनीष सिसोदिया, अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी से लिपटी खबरें स्क्रीन्स पर और अखबारों में छायी रहती हैं. उसी गलियारे से एक नया अपडेट आ रहा है जिससे हम आपको मुखातिब करना चाहते हैं. एक तरफ जहां 16 अप्रैल को सीबीआई ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को तलब किया. वही कल यानी 18 अप्रैल को मनीष सिसोदिया की बेल वाले याचिका पर भी स्टे लगा दी गयी है.
26 अप्रैल को आएगा फैसला
शराब घोटाला ही वो केस था जिसके सिलसिले में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी हुई थी और इस वक्त वे तिहाड़ जेल में अपनी बंद हैं. मंगलवार को जब मनीष सिसोदिया की बेल याचिका पर सुनवाई हुई तो विरोधी टीम यानी की ईडी के वकील ने इसका विरोध करते हुए पुराने फैसले का हवाला दिया और कहा कि इस स्टेज पर मनीष जी को ज़मानत नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने इस पर अपना फैसला बरकरार. राउज एवेन्यू कोर्ट अब 26 अप्रैल की तारिक मुकर्रर की है जिस दिन मनीष सिसोदिया के बेल पर कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी.
इस मामले में सिसोदिया के वकील का कहना है कि कल को कोर्ट ये भी पूछ सकती है है कि टेंडर के लिए लॉटरी क्यों निकाली गयी बोली क्यों नहीं लगाई गयी. उनका कहना है कि उपमुख्यमंत्री ने केवल ये अपराध किया है कि वह नियम और क़ानून में रहकर काम कर रहे हैं.
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इस पूरे मामले में केजरीवाल जी का कहना है कि भाजपा, आम आदमी पार्टी के खिलाफ ही सिर्फ मोर्चा खोल रही है और यही वजह है की धड़-पकड़ जारी है. इसके साथ ही केजरीवाल का ये भी कहना है कि इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी के पास ऐसा कोई प्रमाण नहीं है जिससे ये साबित होता है कि आम आदमी पार्टी ने कोई गलत फैसला लिया है.
2020 में दिल्ली में नई शराब नीति को लागू किया गया. सरकार का कहना था कि इस नीति से शराब की कालाबाज़ारी बंद होगी और सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोत्तरी होगी. इसके इसके साथ ही सरकार ने ये भी दावा किया था की शराब खरीदने वालों को भी अब मुनासिब और आसानी होगी शराब की खरीदारी में.
दोनों पक्षों ने अपना-अपना मत आपके सामने रख दिया है. आप अपनी समझबूझ का परिचय दीजिये और फैसला हमपर न छोड़कर खुद करिये कि सही कौन?