इंसान अपने मेहनत के बल पर किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकता हैं। इंसान अगर चाह ले तो कुछ भी नामुमकिन नहीं । पढ़ने और कुछ बनने का मन हो तो गरीबी और अन्य किसी प्रकार की बाधाएं आड़े नहीं आती। इसी बात को सच कर दिखाया हैं बिहार के रहने वाले 42 वर्षीय कमल किशोर ने। इनकी कहानी कुछ ऐसी है कि जिसे सुनकर आप काफी होंगे। दरअसल, कमल किशोर जिस यूनिवर्सिटी में चपरासी का काम किया करते थे अब वे उसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बने हैं। अपनी मेहन और संधर्ष की बदौलत कमल किशोर प्रोफेसर बनने में सफल हुए। कमल किशोर बिहार के भागलपुर स्थित तिलकामांझी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बने हैं।
छात्रों के देख और पढाई की जगी ललक
उन्होंने साल 2003 में 23 वर्ष की उम्र में बिहार की तिलकामांझी यूनिवर्सिटी के मुंगेर के आरडी एंड डीजे कॉलेज में नाइट गार्ड की नौकरी शुरू की थी। उस समय में पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएट कर चुके थे और वे नौकरी की तलाथ में थे। चपरासी से प्रोफेसर के पद पर पहुंचे कमल किशोर के पिता चाय बेचने का कार्य करते थे। कमल किशोर ने जब मुंगेर के आरडी एंड डीजे कॉलेज में नाइट गार्ड की नौकरी शुरू की थी तो उन्हें इसके कुछ ही दिन बाद तिलकामांझी यूनिवर्सिटी के थॉट एंड सोशल वर्क डिपार्टमेंट में भेज दिया गया। कमल किशोर जब यहां नौकर कर रहे थे तो उन्हें छात्रों को देख और पढ़ने की ललक जगी और इसकी अनुमति देने के लिए विभाग से कहा। उन्हें अनुमति मिल गई और और वे 2013 में उन्होंने डॉक्टरेट प्रोगाम में दाखिला लिया।
2020 में समाप्त हुआ इंतजार
इस तरह वे 2019 में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने में सफल रहें। इसके बाद 2020 में उनका इंतजार समाप्त हुआ और 2020 में बिहार स्टेट यूनिवर्सिटी सर्विस कमिशन द्वारा 4 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर निकली वैकेंसी में उन्होंन् आवेदन किया। 12 उम्मीदवारो को इस पद के लिए इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था जिसमें कमल किशोर सफल रहे । इस तरह कमल किशोर ने नाइट गार्ड से प्रोफेसर बनने का सफर अपनी मेहनत और संधर्ष की बदौलत तय किया। प्रोफेसर कमल किशोर लोगों के लिए प्रेरणा का केंद्र बने हुए है। उन्हें देखकर कई लोग अपनी मंजिल की और अब और मेहनत के साथ चल पड़े हैं।