Friday, November 22, 2024
MGU Meghalaya
HomeअपराधकानूनJEE-Main में 75 प्रतिशत अनिवार्यता को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने NTA...

JEE-Main में 75 प्रतिशत अनिवार्यता को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने NTA से पूछा सवाल

गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (JEE-Main) में शामिल होने के लिए 12वीं क्लास के बोर्ड एग्जाम में 75 फीसदी नंबरों के एलिजिबिलिटी क्राइटीरिया के संबंध में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) से जवाब प्रस्तुत करने को कहा है। कोर्ट ने NTA से पूछा, ‘क्वालीफाइंग एग्जाम होने के बावजूद 12वीं बोर्ड में 75% मार्क्स की अनिवार्यता क्यों है? दरअसल, जेईई मेन और जेईई एडवांस्ड के माध्यम से IIT जैसे संस्थानों में दाखिला दिया जाता है। परंतु जेईई मेन एग्जाम देने के लिए छात्रों को 75 फीसदी नंबर प्राप्त करना अनिवार्य होता है। इससे कम नंबर वाले छात्र परीक्षा के लिए एलिजिबिल नहीं होते हैं।

जनहित याचिका पर सुनवाई

दरअसल, हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिसमें जेईई मेन्स एग्जाम के लिए एलिजिबिल होने के लिए 12वीं क्लास में 75 फीसदी नंबर के क्राइटीरिया से छूट की मांग की थी। इस याचिका को चाइल्ड एक्टिविस्ट अनुभा श्रीवास्तव सहाय ने दायर किया है। इस मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला और न्यायाधीश संदीप वी मार्ने की पीठ कर रही थी। जनहित याचिका द्वारा उठाया गया प्रमुख मुद्दा यह था कि लाखों छात्र जो मुख्य परीक्षा में असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन उनकी बोर्ड परीक्षा में न्यूनतम आवश्यक 75% नहीं होगा, वो इस पात्रता आवश्यकता से प्रभावित होंगे।

यह भी पढ़ें: अब मद्रास हाई कोर्ट में हाईब्रिड मोड में होगी सुनवाई, कोविड के बढ़ते मामलों के बीच लिया गया बड़ा फैसला

याचिका में क्या कहा गया? 

याचिका में कहा गया कि छात्रों द्वारा स्कोर किए गए नंबर उनकी योग्यता को सही ढंग से प्रदर्शित नहीं करते हैं। इस वजह से जिन स्टूडेंट्स के एलिजिबिलिटी क्राइटीरिया वाले नंबर यानी 75 फीसदी से कम मार्क्स हैं, वे JEE Main में बहुत अच्छे नंबर ला सकते हैं। अगर इन लोगों को उचित मौका नहीं मिलता है, तो ये लाखों उज्जवल छात्रों के भविष्य को प्रभावित करेगा। सुनवाई के दौरान एनटीए की ओर से पेश एडवोकेट रुई रोड्रिग्ज ने कहा कि उम्मीदवारों को या तो बोर्ड परीक्षा में 75% स्कोर करना होगा या अपने संबंधित बोर्ड के शीर्ष 20 प्रतिशत में होना होगा।

देश भर के कई सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों में स्नातक इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चरल कार्यक्रमों में नामांकन के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) के रूप में जाना जाने वाला एक राष्ट्रव्यापी प्रवेश परीक्षा आवश्यक है। अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की संयुक्त प्रवेश परीक्षा को भारत सरकार द्वारा 2002 में जेईई प्रवेश परीक्षा द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था। उस समय से, राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी ने भारतीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से प्रतिवर्ष जेईई का आयोजन किया है।

यह भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट से BJP नेता प्रशांत उमराव को मिली बड़ी राहत, बिहारी मजदूरों पर हमले की झूठी खबर फैलाने का है मामला

- Advertisment -
Most Popular