दिल्ली की नई आबकारी नीति में कथित घोटाले मामले को लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें कम नहीं होने नहीं ले रही। बीते दिन ही ईडी मामले में सिसोदिया की न्यायिक हिरासत को 17 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया। इस बीच अब मनीष सिसोदिया ने सीबीआई मामले में जमानत के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। आज 06 अप्रैल को जमानत याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ के न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा के समक्ष सूचीबद्ध की गई थी।
हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
सीनियर एडवोकेट दयान कृष्णन और सीनियर एडवोकेट मोहित माथुर ने सिसोदिया का प्रतिनिधित्व करते हुए पेश हुए तर्क दिया कि सिसोदिया को छोड़कर सभी को सीबीआई मामले में जमानत दे दी गई है। वहीं इस मामले में हाईकोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर सीबीआई को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। मामले को अगली सुनवाई के लिए 20 अप्रैल को सूचीबद्ध किया गया है।
यह भी पढ़ें: नहीं चल पाई सिसोदिया की कोई भी दलील, ED मामले में फिर बढ़ी 17 अप्रैल तक हिरासत
AAP नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर सीबीआई ने वर्ष 2021-2022 के लिए आबकारी नीति के संबंध में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। सीबीआई मामले में सिसोदिया को कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है। शराब नीति के भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े आरोपों के सिलसिले में उन्हें सीबीआई और ईडी के आरोपों के सिलसिले में हिरासत में रखा जा रहा है। दिल्ली में अब निरस्त की जा चुकी आबकारी नीति के कार्यान्वयन में कथित विसंगतियों से जुड़ा ये पूरा मामला है।
17 अप्रैल तक हिरासत में हैं सिसोदिया
गौरतलब है कि कथित शराब घोटाले के इस मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था। तब से ही जेल में बंद हैं। सिसोदिया से जेल में ही ईडी ने भी पूछताछ की थी और इसके बाद 9 मार्च को ईडी के द्वारा इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। दिल्ली सरकार द्वारा 17 नवंबर 2021 को ये नई एक्साइज पॉलिसी लागू की थी, जिसने सिसोदिया को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। एलजी की सिफारिश के बाद CBI ने 17 अगस्त 2022 को केस दर्ज कर इस मामले में जांच शुरू की थी। केस में मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों को आरोपी बनाया गया था। फिलहाल सिसोदिया 17 अप्रैल तक सीबीआई और ईडी की हिरासत में हैं।
यह भी पढ़ें: ‘जब औरंगजेब असम आया था तो…’ केजरीवाल के मेहमाननवाजी वाले बयान पर हिमंता बिस्वा सरमा ने किया पलटवार
सिसोदिया के दिल्ली आबकारी नीति में शामिल होने के मामले में यह दावा किया गया था कि नीति के लाभ मार्जिन को इस तरह से बदल दिया गया था कि कुछ व्यापारियों का पक्ष लिया गया था, और परिवर्तनों के बदले में रिश्वत एकत्र की गई थी। दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने दिल्ली के मुख्य सचिव की एक रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में सीबीआई जांच का आग्रह किया था और ईडी और सीबीआई ने संदिग्ध धोखाधड़ी के संबंध में मामले दर्ज किए। निष्कर्षों के अनुसार सिसोदिया ने कानूनी आवश्यकताओं का उल्लंघन किया और एक ऐसी नीति की जानकारी दी जिसके गंभीर वित्तीय प्रभाव थे। सीबीआई की चार्जशीट में उनका नाम नहीं होने के बावजूद सिसोदिया और कुछ अन्य लोगों की जांच जारी थी। इस बात पर जोर देते हुए कि सिसोदिया निर्दोष हैं, आप ने आरोपों का खंडन किया। सिसोदिया का मानना है कि नीति और उसमें किए गए समायोजन को एलजी ने स्वीकार कर लिया था और सीबीआई अब एक निर्वाचित प्रशासन के नीतिगत विकल्पों का अनुसरण कर रही है।