अफ्रीका के ट्यूनीशिया के तट पर रविवार को एक बड़ा हादसा हो गया। दरअसल तट पर एक नाव डूबने से 28 प्रवासियों की मौत हो गई जबकि 60 से अधिक लोग लापता हैं। रेस्क्यू टीम ने शवों को कब्जे में कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दुर्घटनाग्रस्त नाव रविवार को प्रवासियों को लेकर इटली जाने का प्रयास कर रही थी। इसी दौरान नाव हादसे का शिकार हो गई। जानकारी के मुताबिक पिछले 48 घंटों में इटली जाने वाली 58 नावों में हादसा हुआ है। फिलहाल रेस्क्यू टीम राहत बचाव का काम कर रही है। अभी तक 3300 लोगों को बचा लिया गया है।
48 घंटों में 58 नाव हुए हादसे का शिकार
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो ट्यूनीशिया में बीते रविवार को हुए दर्दनाक हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। इटालियन कोस्ट गार्ड ने इस घटना पर अपडेट देते हुए कहा कि, पिछले 48 घंटों में, उन्होंने 58 जहाजों से 3300 व्यक्तियों को बचाया है जिन्हें सहायता की आवश्यकता थी। अधिकांश बचाव अभियान ट्यूनीशिया से अफ्रीका के निकटतम इतालवी क्षेत्र लैम्पेडुसा तक नौकायन करने वाले जहाजों पर हुए। सबसे हालिया तबाही ट्यूनीशियाई अधिकारियों द्वारा हिरासत में लिए जा रहे अवैध उप-सहारा अफ्रीकियों की लहर के साथ मेल खाती है। बढ़ते हादसों को देखते हुए 48 घंटों में 56 नावों को देश से बाहर जाने से रोक दिया गया है।
19 महिलाओं और 9 नाबालिगों को बचाया गया
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार शनिवार को एक ट्यूनीशियाई (Tunisia) मछली पकड़ने वाली नाव से 19 महिलाओं और 9 नाबालिगों को समुद्र से बचाकर लैम्पेडुसा लाया गया। अवैध प्रवास को रोकने के लिए ट्यूनीशियाई मछली पकड़ने की नाव की जांच की जा रही है।
ट्यूनीशिया गरीबी से जूझ रहे लोगों का बना केंद्र बिंदु
आपको बता दें कि अफ्रीका और मध्य पूर्व में गरीबी और युद्ध से जूझ रहे लोगों का प्राथमिक ध्यान ट्यूनीशिया चला गया है। लीबिया ट्यूनीशिया के लिए आप्रवासन का प्राथमिक स्रोत है। इसके अतिरिक्त, यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि इस सप्ताह लैम्पेडुसा के अधिकांश निवासी वॉटरक्राफ्ट द्वारा ट्यूनीशिया पहुंचे। अगर बात करे संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों की तो इस साल इटली पहुंचे कम से कम 12,000 प्रवासी ट्यूनीशिया से चले गए, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह संख्या 1,300 थी। पिछले महीने, ट्यूनीशियाई राष्ट्रपति कैस सैयद ने देश में रहने वाले उप-सहारा अफ्रीकी प्रवासियों पर अपराध की लहर पैदा करने का आरोप लगाया और उन्हें जनसांख्यिकीय खतरे के रूप में वर्णित किया।