कर्नाटक हिजाब मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच में सुनवाई हुई। इसपर जस्टिस गुप्ता ने कहा कि पब्लिक प्लेस पर ड्रेस कोड लागू होता ही है। और क्या कुछ हुआ सुनवाई में पढ़िये।
कर्नाटक हिजाब विवाद मामले की सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच में सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि ड्रेस कोड लागू करने का मतलब है कि आप लड़कियों को कॉलेज जाने से रोक रहे हैं।
इस पर जस्टिस गुप्ता ने कहा कि पब्लिक प्लेस पर ड्रेस कोड लागू होता ही है। पिछले दिनों ही एक महिला वकील सुप्रीम कोर्ट में जींस पहनकर आ गईं, उन्हें तुरंत मना किया गया। उसी तरह गोल्फ कोर्स का भी अपना ड्रेस कोड है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा- हम जोर देकर कह रहे हैं कि हिजाब का जो अभी विवाद है, वो धार्मिक नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 7 सितंबर को होगी।
सुनवाई के दौरान किसने-क्या कहा…
- संजय हेगड़े (याचिकाकर्ता के वकील)- कॉलेज में ज्यादा कपड़े पहनना ड्रेस कोड का उल्लंघन नहीं है। धार्मिक वजहों से टारगेट किया गया है। इसलिए इतना विवाद खड़ा किया गया।
- जस्टिस गुप्ता- कोई लड़की मिनी स्कर्ट पहनकर कॉलेज आ सकती है? कोड लागू ना करें तो कुछ भी पहनने की आजादी होगी? मौलिक अधिकार का भी मामला है।
- संजय हेगड़े- स्टेट लॉ के मुताबिक कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी की कोई कानूनी मान्यता नहीं है, जबकि यही कमेटी ड्रेस कोड तय करती है। सवाल ये भी है।
- जस्टिस गुप्ता- ड्रेस कोड कौन तय करता है? मुस्लिम कॉलेज में भी हिजाब पर पाबंदी है? क्रिश्चियन कॉलेज में भी हिजाब पहनकर जाने की व्यवस्था है?
- एडवोकेट जनरल- राज्य सरकार ने कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी को अधिकार दे दिया है। कमेटी ही तय करती है। इसमें शिक्षक, पेरेंट्स, स्थानीय विधायक होते हैं।
- मुस्लिम कॉलेज में वहां की कमेटी तय करती है। क्रिश्चियन कॉलेज में हिजाब पहनकर जाने की अनुमति नहीं है।
कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को दी गई है चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 23 याचिकाएं दाखिल हैं। इन याचिकाओं को मार्च में दाखिल किया गया था। याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव धवन, दुष्यंत दवे, संजय हेगड़े और कपिल सिब्बल भी पक्ष रख रहे हैं।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने क्या दिया था फैसला?
कर्नाटक हाईकोर्ट ने 14 मार्च को हिजाब विवाद पर फैसला सुनाया था, जिसमें कहा था कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। हाईकोर्ट ने आगे कहा था कि स्टूडेंट्स स्कूल या कॉलेज की तयशुदा यूनिफॉर्म पहनने से इनकार नहीं कर सकते।
उडुपी से शुरू हुआ था विवाद
कर्नाटक में हिजाब विवाद जनवरी के शुरुआत में उडुपी के ही एक सरकारी कॉलेज से शुरू हुआ था, जहां मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर आने से रोका गया था। स्कूल मैनेजमेंट ने इसे यूनिफॉर्म कोड के खिलाफ बताया था। इसके बाद अन्य शहरों में भी यह विवाद फैल गया।
मुस्लिम लड़कियां इसका विरोध कर रही हैं, जिसके खिलाफ हिंदू संगठनों से जुड़े युवकों ने भी भगवा शॉल पहनकर जवाबी विरोध शुरू कर दिया था। एक कॉलेज में यह विरोध हिंसक झड़प में बदल गया था, जहां पुलिस को सिचुएशन कंट्रोल करने के लिए टियर गैस छोड़नी पड़ी थी।