नौकरी के लिए जमीन घोटाले (Land For Job Scam) में सीबीआई के समन के खिलाफ RJD नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गए। हालांकि कोर्ट से तेजस्वी को राहत नहीं मिली है और उनकी मांग को खारिज कर दिया गया है। कोर्ट ने उन्हें 25 मार्च को सुबह 10:30 बजे दिल्ली में सीबीआई के सामने पेश होने का आदेश दिया है। तेजस्वी यादव की याचिका पर सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि वह बिहार के उपमुख्यमंत्री को इस महीने गिरफ्तार नहीं करेगी।
सीबीआई के सामने पेश होंगे तेजस्वी
तेजस्वी यादव को 28 फरवरी, 04 और 11 मार्च को सीबीआई के दिल्ली स्थित दफ्तर में पेश होने के लिए नोटिस जारी किया गया थाष बिहार के उपमुख्यमंत्री ने नौकरी के बदले जमीन मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जारी किए गए समन को रद्द कराने के लिए बुधवार 15 मार्च को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। यादव द्वारा प्रस्तुत याचिका में कहा गया है कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 160 के तहत एक नोटिस केवल स्थानीय अधिकार क्षेत्र में जारी किया जा सकता है और वह पटना में रहते हुए दिल्ली में सीबीआई समन प्राप्त कर रहा था।
इस मामले की सुनवाई कोर्ट ने 16 मार्च को जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा द्वारा की। सीबीआई के वकील डीपी सिंह ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया था कि यादव इस महीने शारीरिक रूप से पेश हो सकते हैं और सीबीआई उन्हें गिरफ्तार नहीं करने जा रही है। इस बीच कोर्ट ने उन्हें 25 मार्च को सुबह 10:30 बजे दिल्ली में सीबीआई के समक्ष पेश होने का आदेश दिया है।
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तेजस्वी यादव ने सीबीआई से मौजूदा बिहार विधानसभा सत्र समाप्त होने तक का समय मांगा था क्योंकि नवनियुक्त उपमुख्यमंत्री के रूप में उनके दायित्व हैं।
क्या है लैंड फॉर जॉब्स स्कैम?
ये मामला 14 साल पुराना है, जब RJD प्रमुख लालू प्रसाद 2004 से 2009 तक भारत के रेल मंत्री थे। आरोप है कि यूपीए सरकार में मंत्री रहने के दौरान राजद सुप्रीमो पर रेलवे के मुंबई, जबलपुर स्थित अलग-अलग जोन में ग्रुप डी के पद उपलब्ध कराया था और जब उनके परिवार से जमीन का सौदा हुआ तब उनको रेगुलर कर दिया गया।
सीबीआई ने 10 अक्टूबर 2022 को 16 लोगों के खिलाफ मामले में चार्जशीट दाखिल की थी। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती और अन्य के साथ इस मामले में आरोप लगाए गए हैं। इसके अलावा, सीबीआई ने दावा किया है कि आवेदकों के आवेदनों को संसाधित करने में अत्यधिक हड़बड़ी की गई थी और जोनल रेलवे में प्रतिस्थापन की भर्ती के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस नहीं दिया गया था।
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