चुनाव जीतने के बाद नागालैंड में नई सरकार का गठन हो गया और पांचवीं बार नेफ्यू रियो ने राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। नागालैंड में सरकार बनने के बाद एक अलग ही खेल चल रहा है। दरअसल, यहां बीजेपी और NCP एक साथ आते हुए नजर आ रहे हैं। जी हां, नगालैंड में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) ने NDPP-BJP गठबंधन का साथ देने की घोषणा की है।
रियो सरकार को NCP का समर्थन
बड़ी बात तो ये है कि NCP प्रमुख शरद पवार द्वारा इस फैसले को मंजूरी दी गई है। हालांकि, भाजपा के साथ जाने के बारे में उन्होंने कुछ नहीं कहा है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि NCP नागालैंड में सरकार का हिस्सा बनेगी या केवल बाहर से समर्थन करेगी। आपको बता दें कि 60 विधानसभा सीट वाले नागालैंड में NCP ने भी 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि NDPP-BJP गठबंधन यहां 37 सीटों पर जीता था।
राजनीतिक तौर पर देखा जाये तो ये काफी अहम और दिलचस्प घटनाक्रम है। क्योंकि महाराष्ट्र में यही दो पार्टियां बीजेपी और NCP एक दूसरे की दुश्मन मानी जाती हैं। महाराष्ट्र में सत्ता में आने के लिए पहले उद्धव ठाकरे ने NCP और कांग्रेस के साथ आई और बीजेपी विपक्ष में थी। फिर यहां की सियासत ने कुछ यूं मोड़ लिया कि एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर बीजेपी सत्ता में आ गई। ऐसा माना जा रहा है कि शरद पवार के इस फैसला का असर महाराष्ट्र की राजनीति पर भी देखने को मिल सकता है।
ओवैसी ने बोला हमला
वहीं NCP के इस फैसले पर AIMIM प्रमुख ओवैसी भड़क गए हैं। उन्होंने NCP की आलोचना करते हुए कहा- “अगर “शरद” “शादाब” होते तो उन्हें बीटीम कहा जाता और “धर्मनिरपेक्षों” के लिए अछूत कहा जाता। मैंने कभी बीजेपी सरकार का समर्थन नहीं किया है और न कभी करूंगा, लेकिन यह दूसरी बार है जब एनसीपी ने बीजेपी का समर्थन किया है और यह आखिरी बार नहीं हो सकता है। साहिब उनके मंत्री नवाब मलिक को जेल में डालने वालों का समर्थन कर रहे हैं।”
JDU विधायक ने BJP गठबंधन को दिया समर्थन
इसके अलावा नागालैंड में एक और बड़ी सियासी घटना घटी है। राज्य में विधानसभा चुनाव जीतने वाले JDU के इकलौते विधायक ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से पूछे बिना ही भारतीय जनता पार्टी गठबंधन को समर्थन दे दिया। इस पर बड़ी कार्रवाई करते हुए अब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने JDU की राज्य ईकाई को पूरी तरह से भंग कर दिया है। पार्टी ने कहा है कि नागालैंड के पार्टी अध्यक्ष ने केंद्रीय नेतृत्व से परामर्श किए बगैर समर्थन देने का फैसला किया।