ड्रग्स कंट्रोलर ऑफ इंडिया (DCGI) केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) का प्रमुख होता है। ये संगठन ही देशभर में दवा की आपूर्ति की गुणवत्ता सुनिश्चित करने का जिम्मा उठाता है। साथ ही नई दवाओं को मंजूरी देने और नैदानिक परीक्षणों को विनियमित करने का भी अधिकार रखता है। ऐसे में DCGI का पद अपने आप में ही काफी अहम हो जाता है, क्योंकि ये लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा है।
डॉ. रघुवंशी बने नए DCGI
अब इसी पद का जिम्मा बीते दिनों राजीव सिंह रघुवंशी को सौंपा गया है। पूर्व भारतीय फार्माकोपिया आयोग के सचिव-सह-वैज्ञानिक निदेशक डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी DCGI के नए ड्रग कंट्रोलर जनरल बनाए गए हैं। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने इनके नाम की सिफारिश की थी, जिसके बाद ये नियुक्ति हुई। आदेश के अनुसार डॉ. रघुवंशी की DCGI के पद पर नियुक्ति 28 फरवरी 2025 को सेवानिवृत्ति की आयु तक या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, तक प्रभावी होगी।
डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी से पहले डॉ. वी जी सोमानी इसको संभाल रहे थे। 14 अगस्त 2019 को तीन साल की अवधि के लिए इनकी नियुक्ति हुई थी, जिसके बाद तीन-तीन महीनों के लिए दो बार इनका कार्यकाल बढ़ाया भी गया। हालांकि 15 फरवरी को ही डॉ. वी जी सोमानी का कार्यकाल समाप्त हो गया था, जिसके बाद कुछ दिनों यानी 16 से 28 फरवरी के लिए डॉ. पी बी एन प्रसाद को अंतरिम DCGI के रूप में नियुक्त किया गया था।
जानिए इनके बारे में खास बातें…
डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी के बारे में आपको जानकारी दें तो इन्होंने बीएचयू से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की है। वहीं नई दिल्ली के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी से पीएचडी की थी। इनकी और इनकी टीम के द्वारा विकसित 200 से अधिक उत्पाद भारत के साथ अन्य देशों अमेरिका, यूरोप के बाजारों में भी बेचे जा रहे हैं। गौरतलब है कि डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी के नाम से 250 से ज्यादा पेटेंट दवाएं भी हैं।
यहां गौर करने वाली बात ये है कि डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी के कंधों पर ये जिम्मेदारी ऐसे समय पर आई है, जब CDSCO पिछले कुछ समय से विवादों में बना हुआ है। दरअसल, जून 2022 में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया था, जिस दौरान डायबिटीज के इंजेक्शन को बिना ट्रायल के मंजूरी देने की कोशिश की जा रही है। इस मामले में घूस लेते हुए एक शीर्ष अधिकारी को सीबीआई ने रंगे हाथों गिरफ्तार भी किया था।
जब CBI ने ज्वाइंट ड्रग्स कंट्रोलर को किया था गिरफ्तार
ये मामला Biocon Biologics कंपनी से जुड़ा था। यहां डायबिटीज टाइप 1 और टाइप 2 को कंट्रोल करने के लिए Insulin Aspart नाम का एक इंजेक्शन बनाया जा रहा है। इंजेक्शन के तीसरे चरण का ट्रायल से बचने के लए रिश्वत देने की कोशिश हुई। हालांकि इससे पहले ही सीबीआई ने ज्वाइंट ड्रग्स कंट्रोलर (Joint Drugs Controller) एस ईश्वर रेड्डी को गिरफ्तार कर लिया था। इन पर आरोप लगे थे कि वे ट्रायल से छूट देने के लिए चार लाख रुपये की घूस ले रहे थे।
ये कितना गंभीर मामला था। डायबिटीज कोई छोटी मोटी बीमारी तो है नहीं। उसके इंजेक्शन को यूं बिना टेस्ट के जरिए ही रिश्वत लेकर पास करने की कोशिश हो रही थी, वो लोगों के स्वास्थ्य के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ था।
पूर्व DCGI पर गंभीर आरोप
केवल इतना ही नहीं आरोप तो ये तक लगाए जाते हैं कि DCGI के पूर्व प्रमुख डॉ. वी जी सोमानी ने कोरोना वैक्सीन को मंजूरी देने के लिए करोड़ों की रिश्वत ली थी। हालांकि इन आरोपों में कितनी सच्चाई है, उसकी पुष्टि हम नहीं कर सकते। इसके अलावा कहा ये भी जाता है कि ये पॉलिटिक्ली काफी शक्तिशाली व्यक्ति हैं। कई बड़े नेताओं के साथ इनकी अच्छी जान पहचान हैं। यही कारण है कि इनके कार्यकाल को तीन-तीन महीने के लिए दो बार विस्तार दिया गया था। हालांकि इस बार इनका कोई दांव चल नहीं पाया, जिसके चलते इन्हें पद से हटना ही पड़ा।