मां बगलामुखी की पूजा अर्चना से जीवन के हर काल – कष्ट दूर होते हैं । मां बंग्लामुखी को आठवी महाविद्य़ा भी कहा जाता है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार मां बंग्लामुखी हल्दी रंग के पीले पानी से प्रकट हुई थी, जिस कारण इन्हें पीताम्बरा भी कहा जाता हैं। मां बंग्लामुखी का प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में माना जाता है।
पीला रंग मां बगलामुखी को हैं अति प्रिय
पीला रंग मां बगलामुखी को काफी पसंद है, इसलिए जब भी इनकी पूजा होती है तो पीले रंग के फूल, पीले रंग की मिठाईयां जरूर चढ़ाई जाती है। पूजा करने वाला व्यक्ति भी पीले रंग का वस्त्र भी जरूर धारण करता हैं। मां बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं। अर्थात मां बगलामुखी अपने भक्तों के भय को दूर कर शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं। शुत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद आदि में सफलता पाने के लिए मां बगलामुखी की पूजा की जाती है। त्रेतायुग में जब भगवान राम, रावण से युद्ध करने जा रहे थे तो, उन्होंने भी मां बगलामुखी की ही आराधना की थी।
देश में है मां के तीन प्रमुख मंदिर
भारत में माँ बगलामुखी के तीन प्रमुख मंदिर हैं , जिनमे दतिया (मध्य प्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) और नलखेड़ा (मध्य प्रदेश) में । इन्हे सिद्धपीठ कहा जाता है। जो भी भक्त सच्चे मन से मां बगलामुखी की पूजा करता हैं माता उसके हर दुख को दूर करती हैं। तो प्रेम से बोलिए मां बगलामुखी की जय।