Eco Friendly Holi : देश भर में होली का त्यौहार बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता हैं। इस दिन आपसी बैर भूलकर लोग अपनों को रंग लगाते है। पहले के समय में अधिकांश लोग फूलों से होली खेला करते थे। लेकिन अब फूलों की जगह रंगों से होली खेली जाती हैं। वक्त के साथ-साथ नेचुरल रंगों की सप्लाई कम हो गई है और अब रंगों में तमाम केमिकल मिलाएं जाते है। केमिकल वाले रंगों से त्वचा खराब होने लगती है। इसलिए अब लोग एक बार फिर इको फ्रेंडली रंगों को प्राथमिकता दे रहें है। बाजार में अब हर्बल गुलाल मिलने लगे है। कहीं पर फूलों से हर्बल गुलाल को बनाया जा रहा है। तो कहीं गोबर से।
गुलाबी नगरी (Jaipur) में होली (Eco Friendly Holi) की तैयारियां शुरू हो गई है। वहां पर अधिकतर दुकानदार गोबर से गुलाल बना रहें है जो 100 प्रतिशत ऑर्गेनिक यानि जैविक है। जयपुर वासियों का कहना है कि केमिकल कलर्स के साइड इफेक्ट जैसे एलर्जी और स्किन खराब की समस्या से बचने के लिए लोग ऑर्गेनिक रंगों को प्राथमिकता दे रहें है।
जानिए कैसे बनाया जा रहा है ऑर्गेनिक गुलाल
बता दें कि ऑर्गेनिक गुलाल से त्वचा को थोड़ा सा भी नुकसान नहीं होता हैं। गुलाल (Eco Friendly Holi) को बनाने के लिए सबसे पहले गोबर को बारीक पीसा जाता है। फिर उसमें अरारोट और फूड कलर्स मिलाएं जाते है। जो आमतौर पर खाना बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। इससे शरीर को कोई भी नुकसान नहीं होता है। गुलाल में गोबर की स्मेल नहीं आएं। इसलिए इसमें सूखा गोबर और फूलों को मिलाया जा रहा है।
गोकाष्ठ से किया जाएगा होलिका दहन
इसके अलावा जयपुर (Jaipur News) में गोसेवी संगठनों और गोशाला प्रबंधन के प्रयास से होलिका दहन भी गोकाष्ठ (गाय के गोबर की लकड़ी) से किया जाएगा। इसके लिए 25 से ज्यादा स्थानों पर गोकाष्ठ वितरण केन्द्र बनाए गए है। साथ ही इसके प्रति लोगों को जागरूक भी किया जा रहा हैं।