ओरिजिनल डॉन एक बहुत तेज रफ्तार फ़िल्म है जो आपको सोचने का मौका ही नही देती। इसके गाने भी तेज हैं कोई भी धीमा गाना नही है।हेलन को डांस करते देखना अपने आप मे एक रोमांच है ।
फ़िल्म बनने के बाद कुछ लोगों को दिखा कर सलाह ली जाती है,ताकि रिलीस करने से पहले कुछ फीडबैक मिले, ज़रूरत पड़े तो बदलाव किए जा सकें।
मनोज कुमार ने डॉन फ़िल्म देख कर कहा कि मध्यांतर के बाद फ़िल्म में एक गाना डालो ताकि उतनी देर में लोग वाशरूम वगैरा होकर आ सकें। इस तरह फ़िल्म को थोड़ा धीमा करने के लिए इंटरवल के बाद “खई के पान बनारस वाला” गाना बाद में डाला गया था। इस गाने का कहानी से कोई लेना-देना नही था।पर ये गाना सबसे बड़ा हिट साबित हुआ।
उस समय की फिल्मों में पारिवारिक एंगल होता ही था,हीरो हीरोइन का परिवार दिखाया जाता था। इसमे न तो डॉन का परिवार था,न विजय का ,हीरोइन का भाई भी शुरू में ही मर जाता है।
इनके माँ बाप कौन थे कुछ नही बताया। प्राण के बच्चों से विजय को लगाव था,पर उनको भी सिर्फ ज़रूरत पड़ने पर दिखाया, इसलिए फ़िल्म की रफ्तार बनी रही। ऐसा कोई दृश्य नही था कि “माँ मैंने ये सब मज़बूरी में किया” कह कर आंसू बहा रहे हों।
बैकग्राउंड म्यूजिक भी जबरदस्त था। अमिताभ,प्राण ने बढ़िया अभिनय किया था, उनको डांस बहुत कम आता था पर देखने मे अच्छा लगता था।
ये फ़िल्म पहली बार TV पर देखी थी तो खत्म होने पर मन मे यही ख्याल आया कि” मज़ा आया”।
और इसी लिए कहा भी जाता है असली डॉन फिल्म को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है।