दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा हाल ही में मंदिर के संबंध में लिए गए फैसलों पर आप ने चिंता जताई हैं। उन्होंने कहा कि ये कार्रवाई बिना किसी आधार के हैं और केवल राजनीति से प्रेरित हैं। एक तरफ उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार से सारी फाइलें रोक रखी हैं, वहीं दूसरी तरफ वे दिल्ली सरकार पर मंदिरों को तोड़े जाने से जुड़ी फाइलों को पूरी दिल्ली में लटकाने का आरोप लगा रहे हैं। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि एलजी का यह व्यवहार उनकी प्राथमिकताओं पर संदेह और भेदभाव पैदा करता है।
एलजी दिल्ली में मंदिरों पर बुलडोजर चलाने के लिए इतने आतुर क्यों है? यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि उपराज्यपाल इतने संवेदनशील मामले पर राजनीति कर रहे हैं, जो दिल्ली के दर्जनों पुराने मंदिरों से जुड़ा है। मंदिरो के ढांचों में कोई संशोधन करने का निर्णय भी सोच समझ कर लेना जरूरी है इस पर जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाया जा सकता है। तो उन्हें गिराने की अनुमति देना तो बहुत दूर की बात है।
उन्होंने कहा कि क्या एलजी के लिए सरकारी स्कूल के शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजना जरूरी बात नहीं है। एलजी खुद को दिल्ली का “लोकल गार्जियन” कहते हैं, तो वह लोगों से जुड़ी परियोजनाओं को मंजूरी क्यों नहीं देते हैं? दिल्ली के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले इसलिए हम शिक्षकों को फिनलैंड भेजना चाह रहेहैं लेकिन एलजी यह नहीं चाहते।
धार्मिक मुद्दों पर राजनीति करना गलत उपमुख्यमंत्री ने कहा कि एलजी ने धार्मिक ढांचे को गिराने से संबंधित फाइलों को मंगवाया है। एलजी ने दावा किया है कि उक्त फाइलें मेरे विभाग द्वारा रोकी गई हैं। यह गलत दिशा में राजनीति कर रहे है। बता दें कि यह विचाराधीन मामला दिल्ली में दशकों पुराने कई बड़े मंदिरों सहित कई धार्मिक संरचनाओं को ध्वस्त करने की मंजूरी देने से संबंधित है। यदि यह मुद्दा और अधिक गरमाया तो दिल्ली पर इसका विपरीत परिणाम हो सकता है ।