भारत में कई रेलवे स्टेशन ऐसे है जहां कोई सूर्यास्त के बाद नहीं जाता। आज हम एक ऐसे ही रेलवे स्टेशन के बारे में बताने जा रहे है, जहां भूतिया शक्तियों ने इस तरह कब्जा कर लिया है कि अब उस रेलवे स्टेशन पर ताला सा लग चुका है। हम बात कर रहे है भारत के बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन की जो पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले का एक छोटा से शहर में है।
7 साल में ही बंद हुआ रेलवे स्टेशन
यह रेलवे स्टेशन साल 1960 में खुला था। इसे खुलवाने में संथाल की रानी श्रीमती लाचन कुमारी का अहम योगदान रहा है। यह स्टेशन खुलने के बाद कुछ सालों तक तो सबकुछ ठीक रहा, लेकिन बाद में यहां अजीबोगरीब घटनाएं घटने लगीं। साल 1967 में बेगुनकोडोर के एक रेलवे कर्मचारी ने स्टेशन पर एक महिला का भूत देखने का दावा किया। साथ ही यह अफवाह भी उड़ी कि उसकी मौत उसी स्टेशन पर एक ट्रेन दुर्घटना में हो गई थी। अगले दिन उस रेलवे कर्मचारी ने लोगों को इसके बारे में बताया, लेकिन ग्रामीणों ने इसे हंसी में उड़ा दिया। वहीं कुछ दिनों के बाद, स्टेशन मास्टर और उनके परिवार के सदस्य अपने क्वार्टर में मृत पाए गए, जिसने स्थानीय ग्रामीणों को अपसामान्य घटनाओं पर विश्वास करने के लिए मजबूर कर दिया। इस घटना के बाद लोगों ने स्टेशन पर जाना बंद कर दिया और फिर इसे बंद कर दिया गया क्योंकि वहां ट्रेनें मुश्किल से रुकती थीं।
42 वर्षों बाद फिरसे खोला गया भूतिया स्टेशन
बाद में 1990 के दशक में ग्रामीणों ने स्टेशन को फिर से खोलने की मांग की। एक कमेटी बनाई गई और मामले को अधिकारियों के सामने रखा गया। तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी को एक पत्र भी लिखा गया था, जिसमें उनके हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया था। 42 वर्षों के बाद, अगस्त 2009 में स्टेशन को फिर से खोल दिया गया। लेकिन फिर भी स्टेशन का प्रेतवाधित होने का टैग अभी भी प्रासंगिक है। आज भी लोग सूर्यास्त के बाद बेगुनकोडोर रेलवे स्टेशन पर जाने से बचते हैं।