Sunday, November 24, 2024
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जोशीमठ: 12 दिन में 5.4 सेंटीमीटर तक धंसी जमीन, ISRO की रिर्पोट के मुताबिक डूब सकता है जोशीमठ

उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव के कारण जमीन और घरें  में दरार देखने को मिल रही है। इस समस्या ने यहां के लोगों की चिंता को काफी बढ़ा दिया है। इस पर इसरो ने भी ताजा रिपोर्ट जारी की है जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। दरअसल, इसरो ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि पिछले 12 दिनों में जोशीमठ तकरीबन 5.4 सेंटीमीटर नीचे धंस चुका है। जिस तरह से जमीन नीचे धंस रही है उसकी वजह से सड़क और घर में गहरी दरारें देखने को मिल रही हैं। इसरो ने जोशीमठ की सैटेलाइट तस्वीरें भी जारी की हैं। जो तस्वीरें सामने आ रही हैं वह काफी चिंताजनक है। इसरो की सैटेलाइट तस्वीर के अनुसार 27 दिसंबर से 8 जनवरी के बीच जोशीमठ 5.4 सेंटीमीटर नीचे धंस गई है।

joshimath sinking
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12 दिनों में 5.4 सेंटीमीटर धंस गई जमीन

दरअसल, जोशीमठ में जमीन धंसने की शुरुआत 2 जनवरी से शुरू हुई है। इसपर इसरो ने कहा कि क्राउन ऑफ सब्सिडेंस 20180 मीटर की ऊंचाई पर स्थित जोशीमठ-औली रोड के पास स्थित है। यहां पर अप्रैल 2022 से ही जमीन धंसने का सिलसिला शुरू हो गया है। लेकिन बीते पिछले 12 दिनों में जोशीमठ की जमीन करीब 5.4 सेंटीमीटर तक धंस गई है। यह चिंता का मामला बताया जा रहा है। इसको लेकर काटोर्सैट-2एस सेटेलाइट ने कुछ तस्वीरें भी ली है। यह तस्वीरें हैदराबाद स्थित NRS ने जारी की हैं। इन तस्वीरों में सेना के हेलीपैड और नरसिम्हा मंदिर सहित पूरे शहर को संवेदनशील क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया है। इसरो की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर उत्तराखंड सरकार खतरे वाले इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है और इन इलाकों के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।

joshimath sinking
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7 महीने धंस रही है जोशीमठ की जमीन

ISRO के मुताबिक, यहां 7 महीने के भीतर 9 सेंटीमीटर तक जमीन धंसी है। ये सिलसिला अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच धीमा था। लेकिन फिर भी जोशीमठ की 9 सेमी तक की जमीन इतने दिन में धंस गई थी। वहीं 27 दिसंबर, 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच, भू-धसाव की तीव्रता में वृद्धि हुई और इन 12 दिनों में शहर 5.4 सेंटीमीटर धंस गया। पहले जोशीमठ को मंदिरों के धंसने के लिए जाना जाता था, लेकिन अब यह बड़े पैमाने पर लोगों के घर और सड़क पर भी पहुंच गई है। जिसकी वजह से लोगों के जीवन पर संकट मंडरा रहा है।

joshimath sinking
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भू-वैज्ञानिक द्वारा अध्ययन जारी

भू-वैज्ञानिक अभी भी इलाके में भूमि धंसने के बाद घरों और सड़कों में दिखाई देने वाली दरारों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इसरो की प्राथमिक रिपोर्ट के निष्कर्ष भयावह हैं। इसरो के अलावा इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (आईआईआरएस) ने भी एक रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। रिपोर्ट के मुताबिक, जोशीमठ हर साल 6.62 सेंटीमीटर यानी करीब 2.60 इंच धंस रहा है।

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