देवभूमि उत्तराखंड में तबाही के संकेत देखने को मिलने रहे है। यहां किसी भी समय खतरे की घंटी बच सकती है। दरअसल, यहां के पहाड़ी प्रदेश जोशीमठ में भूधंसाव का दायरा बढ़ने से स्थानीय निवासियों की जान पर बन आई है। जोशीमठ में लगातर हो रहे भू-धंसाव का खतरा बढ़ता जा रहा है। यहां अभी तक 584 मकान और होटल भू-धंसाव की चपेट में आ चुके हैं। आपदा विभाग ने जोशीमठ की स्थिति को चिंताजनक बताया है। जोशीमठ का निरीक्षण करके लौटी टेक्निकल टीम ने कई सुझाव दिए हैं।
भारत सीमा पर बसे उत्तराखंड में एक बार फिर बड़ी तबाही की दस्तक से लोग दहशत में हैं। दरअसल, चमोली शहर में पानी के निकासी की कोई व्यवस्था न होने के कारण जोशीमठ में जमीन धंस रही है। जोशीमठ नगर के इलाके में घरों के अलावा सड़क पर दरारें पड़ गई हैं। वहीं यहां के जेपी कालोनी में घरों में पानी निकलने से सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है। जो लोग रह भी रहे हैं। वह हाड़ कंपाती इस सर्दी में रात भर जागने के लिए मजबूर हैं। जगह जगह जमीन से पानी की धाराएं निकलने की घटनाएं हो रही हैं। एक तरफ, जहां पानी निकासी की व्यवस्था नहीं तो दूसरी ओर, अलकनंदा नदी से कटाव और अनियंत्रित निर्माण कार्य से 32 गांव खतरे में पड़ गए हैं। जिस कारण पूरी कॉलोनी को पलायन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना से रिपोर्ट मांगी है।
घरों को छोड़ सड़क पर रात बिताने को मजबूर लोग
इन दिनों लोग दरार आ चुके अपने घरों को छोड़कर सड़क पर रात बिताने को मजबूर हैं। वहीं सड़कों पर बनी दरारें भी लगातार चौड़ी हो रही है। नगर में ऐसे 14 परिवारों ने अपने घरों को छोड़ दिए हैं, जो भू-धसाव की जद में हैं। जेपी कॉलोनी की आवासीय कॉलोनी के पीछे की पहाड़ी से रात को ही अचानक मटमैले पानी का रिसाव भी शुरू हो गया। इससे लोगों में और डर बैठ गया है। इसके बाद लोग सतर्क हो गये और ऐसे ही पांच परिवारों के लोगों ने सड़क किनारे अलाव के सहारे पूरी रात काटी।
पानी की निकासी की व्यवस्था न होना बना भू-धसाव का कारण
आपदा प्रबंधन विभाग की टेक्निकल टीम ने भू-धसाव का सबसे बड़ा कारण जोशीमठ में पानी की निकासी की कोई व्यवस्था न होने को माना है। इसलिए सबसे पहले इसका प्रबंधन करना होगा। इसके अलावा अलकनंदा नदी के कारण बन रहे कटाव भी भू-धसाव का एक कारण बनकर सामने आया है।