Importance of Sandalwood Tilak : हिंदू धर्म में, पूजा, आरती, व्रत, भोग और तिलक का बहुत महत्त्व हैं। सभी देवी-देवता की पूजा-अर्चना करने के बाद जैसे आरती की जाती है। वैसे ही पूजा, पर्व, व्रत और शुभ कार्य पर तिलक लगाया जाता हैं। हिन्दू शस्त्रों के अनुसार, तिलक के बिना पूजा, तप और यज्ञ का फल नहीं मिलता है। प्रत्येक मंदिर में भी पंडित या पुजारी सबसे पहले भक्तों के माथे पर तिलक लगाते हैं। हालांकि तिलक रोली, चंदन, भस्म, सिंदूर, गोपी चंदन और केसर आदि के होते हैं, जिनका अपना अलग महत्त्व, लाभ और मान्यता है।
आज हम आपको इस आर्टिकल में चंदन का तिलक (Importance of Sandalwood Tilak) लगाने के लाभ और महत्त्व के बारे में बताएंगे।
चंदन के तिलक का महत्त्व
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीराम ने भी मस्तक के सामने वाले भाग पर चंदन का तिलक (Importance of Sandalwood Tilak) धारण किया था। चंदन की तासीर ठंडी होती हैं, जिससे मस्तिष्क शांत और एकाग्र रहता है। मष्तिष्क के शांत होने से व्यक्ति हर समस्या को धैर्य और एकाग्रता से सुलझाता है।
इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि शांत मस्तिष्क में तमाम बुराइयों का नाश होता है और सकरात्मत ऊर्जा का संचार होता हैं। साथ ही तिलक (Importance of Sandalwood Tilak) लगाने से साधना करने में भी मन लगता है और संकल्प शक्ति मजबूत होती हैं।
चंदन का तिलक लगाने के लाभ
हिन्दू मान्यता के अनुसार, चंदन का तिलक ऊर्ध्वपुण्ड (vertical) और त्रिपुंड (तीन आड़ी रेखाओं का तिलक) दोनों तरीके से लगाया जा सकता हैं। भौहों के मध्य चंदन का तिलक लगाने से विशेष लाभ मिलता हैं। कहा जाता है कि तनाव, अनिद्रा, सिरदर्द और बुखार जैसी बीमारियों में चंदन का तिलक (Importance of Sandalwood Tilak) लगाना लाभकारी होता है। कुछ विशेष दिन यानी पर्व और व्रत में तिलक लगाने से सौभाग्य में भी वृद्धि होती हैं।
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