India China Stand Off : चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। चीन की चालाकी उसी पर भारी पड़ रही है। हाल ही में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में घुसपैठ करने की कोशिश की लेकिन इस बार भी ड्रैगन को मुंह की खानी पड़ी। 9 दिसंबर को भारत और चीन की सेना के बीच हिंसक झड़प के बाद सरकार भी अलर्ट हो गई है। हालांकि झड़प में दोनों तरफ के कुछ सैनिक घायल हुए। एलएसी पर चीन की नई साज़िश का पर्दाफाश करने तथा चीन को मात देने के लिए के लिए केंद्र सरकार उस इलाके में नए सैन्य और यातायात के आधारभूत संरचना पर बल दे रही है। वहीं अब लद्दाख में भी शांति बनाए रखने के लिए भारत और चीन के बीच कमांडर स्तर की बैठक हुई है। इस हाई लेवल मीटिंग में सेना के शीर्ष अधिकारी मौजूद रहे।
दोनों पक्षों ने पश्चिमी क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए सहमति जताई
विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की 17वीं दौर की बैठक 20 दिसंबर को चुशुल मोल्डो (Ladakh) में आयोजित की गई थी। दोनों पक्षों ने पश्चिमी क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए सहमति जताई। गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश में चीन सीमा पर हुई ताजा झड़प के बाद केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीनी सैनिकों को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने संसद में कहा था कि चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सैनिकों ने चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया। हालांकि विपक्ष ने चीन के मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया है।
रणनीतिक रूप से बेहद अहम है तवांग
सैटलाइट तस्वीरों के आधार पर ऑस्ट्रेलिया के विशेषज्ञों ने खुलासा किया है कि तवांग जिले के यांगत्से पठारी इलाके में भारत ने चीन के ऊपर अपनी रणनीतिक बढ़त बनाई हुई है। भारत के कई राज्यों से चीन की सीमा लगती है। इन इलाकों में बीआरओ ने रोड का जाल बिछा दिया है। आस्ट्रेलियन स्ट्रेटजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार यांगत्से पठार जो समुद्र से 5700 मीटर की ऊंचाई पर है, रणनीतिक रूप से दोनों ही देशों के लिए अहम है क्योंकि इससे पूरे इलाके पर नजर रखना आसान है। इस पर भारत का कब्जा है जिससे वह सेला दर्रे को चीन से बचाए रखने में सक्षम है। सेला दर्रा ही तवांग को जोड़ने का एकमात्र रास्ता है।
विपक्ष के निशाने पर सरकार
जब से झड़प हुई है तब से विपक्ष ने सरकार को संसद में आड़े हाथों लिया है। संसद में लगातार विपक्ष ने सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है। विपक्ष चाहता है कि सरकार इस मामले पर संसद में चर्चा करे लेकिन स्पीकर ने अब तक विपक्ष की बात नहीं मानी है। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने सीमा पर ‘चीन के अतिक्रमण’ को लेकर सरकार को घेरा था। उनका मानना है कि ये एक महत्वपूर्ण विषय है जिसपर सरकार को चर्चा करनी चाहिए। इस पुरे प्रकरण में सरकार की चुप्पी चिंता का विषय है।