Bibi Ka Maqbara : मुगल बादशाह शाहजहां ने मुमताज महल की याद में ताजमहल को बनवाया था। इसी तरह बादशाह के बेटे औरंगजेब ने भी अपनी बेगम दिलरास बानो बेगम के लिए एक अद्भुत मकबरा बनवाया था। दिलरास औरंगजेब की पहली पत्नी थी। औरंगजेब और दिलरास की शादी वर्ष 1637 में हुई थी। उनके पांच बच्चे हुए थे।
औरंगजेब के शासन के दौरान दिलरास बेगम के पास कई पावर थी और वो मुगल सल्तनत के कई फैसलों में दखल देती थी। इसी वजह से उन्हें राबिया उद्दौरानी की उपाधि से नवाजा जाता था। उन्होंने अपने युग में कई ऐतिहासिक मकबरे बनवाए थे।
बेगम की याद में बनवाया मकबरा
1657 में दिलरास बानो की मौत के बाद औरंगजेब ने उनकी याद में एक मकबरा बनवाया था। मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा बनवाया गया मकबरा, हूबहू ताजमहल की तरह ही हैं। लेकिन असल में ये इतना भव्य नहीं बन पाया। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित इस मकबरे को बीबी का मकबरा (Bibi Ka Maqbara), दक्कन के ताज और गरीबों का ताजमहल के नाम से जाना जाता हैं।
कितना अलग है ताजमहल और गरीबों का ताजमहल
मुगल बादशाह औरंगजेब, ताजमहल की तरह ही बीबी का मकबरा (Bibi Ka Maqbara) बनाना चाहते थे। लेकिन ये इतना भव्य नहीं बन पाया। ताजमहल (Taj Mahal) और बीबी के मकबरे में कई अंतर हैं। ताजमहल के मुकाबले यह छोटा और मोटी दीवारों वाला है। साथ ही इसमें (Bibi Ka Maqbara) लाइमस्टोन का इस्तेमाल किया गया है। जबकि ताजमहल में चमकते पत्थर का उपयोग किया गया है। इस मकबरे (Bibi Ka Maqbara) को बनाने में केवल 7 लाख रुपये का खर्च आया था। जबकि ताजमहल को 3.20 करोड़ रुपये में बना था।
इस वजह से कहा जाता है गरीबों का मकबरा
तमाम कोशिशों के बावजूद भी इस मकबरे (Bibi Ka Maqbara) में उतनी खूबसूरती नहीं नजर आई थी जो वास्तविक ताजमहल में है। इसलिए इतिहासकारों और विद्वान इसे ताजमहल की कमजोर नकल कहकर इसका (Bibi Ka Maqbara) मजाक उड़ाते है और इसी वजह से इसे गरीबों के ताजमहल के नाम से जाना जाता हैं।