Lightning strike in zigzag : बारिश के मौसम में आसमान में बिजली कड़कना आम बात हैं। हालांकि कई बार इससे इंसान की जान भी चली जाती हैं। माना जाता है कि दुनिया में औसतन रोजाना 86 लाख बार बिजली (Lightning strike) गिरती है। आकाशीय बिजली को लेकर एक सवाल अधिकांश लोगों के मन में रहता है कि जब गरजते बादलों के बीच से बिजली धरती की और आती है तो वो सीधे के जगह जिगजैग करते हुए ही क्यों गिरती हैं ..?
आज हम आपको इसी के बारे में जानकारी देंगे कि जब बिजली (Lightning strike) गिरती है तो ये जिगजैग कैसे बनती हैं।
इन कारण गिरती है बिजली
लाखों वोल्ट की विद्युत क्षमता वाले बादल जब पृथ्वी से जुड़ते है तो तब बिजली के हमले होते हैं। अमूमन बादल से बिजली (Lightning strike) की 4 से 5 रेखाएं आड़ी तिरछी आकार में धरती की ओर आती है। ये सभी एक-एक कर के धरती पर गिरती हैं। धरती पर गिरने वाली सबसे पहली चमकीली रेखा (Lightning strike) लगभग 50 मीटर लंबे कदम, बादल से नीचे की ओर बढ़ाती हैं।
जिगजैग का तर्क
साउथ ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर जॉन लोके ने इस पर रिसर्च किया हैं। जॉन का मानना है कि जब इलेक्ट्रॉनों को अलग करने के लिए मेटास्टेबल की स्तिथि आसमान में बनाई जाती है तो अंधेरे की वजह से मेटास्टेबल और इलेक्ट्रॉनों का घनत्व बढ़ता है। इस वजह से बिजली जिगजैग (Lightning strike in zigzag) करते हुए गिरती हैं।
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