Tuesday, December 3, 2024
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किसकी होगी शिवसेना? अब 27 सितंबर तक टली SC की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने बुधवार को कहा कि वह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट की याचिका पर 27 सितंबर को सुनवाई करेगी। याचिका में निर्वाचन आयोग से, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट के उसे ही ‘असली’ शिवसेना मानने और पार्टी का चुनाव चिह्न उन्हें देने के दावे पर निर्णय करने से रोकने का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति डी. वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली एक पीठ ने कहा कि वह कुछ महीने पहले महाराष्ट्र में हुए राजनीतिक संकट के संबंध में (विधानसभा के) अध्यक्ष/ उपाध्यक्ष और राज्यपाल की शक्ति से संबंधित दोनों पक्षों द्वारा दायर याचिकाओं से उत्पन्न सभी मुद्दों पर सुनवाई के लिए समय-सीमा तय करते हुए निर्देश पारित करेगी।

उद्धव गुट की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल

उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि तीन अगस्त को शीर्ष अदालत की एक पीठ ने मौखिक रूप से निर्वाचन आयोग को तत्काल कोई भी कार्रवाई करने से मना किया था। निर्वाचन आयोग की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा कि यह एक प्रक्रिया है, जब चुनाव चिह्न को लेकर कोई शिकायत आती है तो आयोग के पास दूसरे पक्ष को नोटिस जारी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है। उन्होंने कहा, ‘‘ इस मामले में भी हमने, दूसरे पक्ष को नोटिस जारी किया।’’ दातार ने कहा कि कई रिकॉर्ड हैं और यदि प्रक्रिया जारी रहे तो यह उचित होगा।

शिंदे गुट के वकील की दलील

पीठ उस संकट से संबंधित लंबित मामलों की सुनवाई कर रही है, जिसके कारण राज्य की महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई थी। मामले पर सुनवाई शुरू होते ही शिंदे गुट की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने पीठ को बताया कि दूसरे पक्ष ने उनके आवेदन पर कोई भी निर्णय करने से निर्वाचन आयोग को रोकने के लिए मामले में हस्तक्षेप का अनुरोध किया है। पीठ में न्यायमूर्ति एम. आर. शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा भी शामिल हैं। कौल ने कहा कि भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को कोई फैसला करने से रोका नहीं जा सकता और शीर्ष अदालत ने पहले भी निर्वाचन आयोग की कार्रवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

पीठ ने क्या कहा था?

पीठ ने कहा था कि ये याचिकाएं संविधान की 10वीं अनुसूची से जुड़े कई अहम संवैधानिक मुद्दों को उठाती हैं, जिनमें अयोग्यता, अध्यक्ष तथा राज्यपाल की शक्तियां और न्यायिक समीक्षा शामिल है। अदालत ने निर्वाचन आयोग से शिंदे गुट की उस याचिका पर कोई आदेश पारित नहीं करने को कहा था, जिसमें उसने उसे ‘‘असली’’ शिवसेना मानने और पार्टी का चुनाव चिह्न देने का अनुरोध किया है।

सिब्बल ने क्या कहा?

उन्होंने कहा कि भले ही विधायक अयोग्य घोषित हो जाएं, लेकिन फिर भी वे पार्टी के सदस्य बने रहेंगे। सिब्बल ने कहा कि अगर कोई विधायक 10वीं अनुसूची के तहत स्वेच्छा से पार्टी की सदस्यता छोड़ देता है और विधानसभा से इस्तीफा नहीं देता तो उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है। न्यायमूर्ति शाह ने वकील से कहा कि 27 सितंबर की सुनवाई के लिए अपनी दलीलें बचाए रखें। शीर्ष अदालत ने 23 अगस्त को शिवसेना के दोनों धड़ों की विभिन्न याचिकाओं को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश दिया था।

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