Thursday, November 21, 2024
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गणेश उत्सव क्यों मनाया जाता है ?

गणेश का जन्म जन्मोत्सव उनके भक्त बेहद उमंग के साथ मनाते हैं गणेशोत्सव पर्व के दौरान भगवान गणेश के भक्त अपने- अपने घरों में उनकी मूर्ति की स्थापना करते हैं और दस दिनों तक गणपति की सेवा करते हैं और ग्यारह दिन यानी अनंत चतुर्दशी को गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ इसका समापन होता है लेकिन क्या आपको पता है कि पहले यह पर सिर्फ एक ही दिन मनाया जाता था. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के पर्व के रूप में मनाया जाता था. इसके बाद फिर दस दिन गणपति पूजा की परंपरा आरंभ हुई. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व हजारों साल से मनाया जा रहा है. शिव पुराण के अनुसार इसी दिन भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था.

जब भारत में पेशवाओ का शासन था उस समय इस पर्व को भव्य रूप से मनाया जाने लगा था. सवाई माधवराव पेशवा के शासन में पुणे के प्रसिद्ध शनिवार वाडा नामक राज महल में भव्य गणेश उत्सव मनाया जाता था जब अंग्रेज भारत आए उन्होंने पेशवाओ के राज्य पर अधिकार कर लिया इसके कारण गणेश उत्सव की भव्यता में कमी आने लगी लेकिन यह परंपरा हमेशा बनी रही और गणेश उत्सव मनाया जाता रहा है अंग्रेजों के शासनकाल में युवाओं में अपने धर्म के प्रति नकारात्मकता और अंग्रेजी आचार विचार के प्रति आकर्षण बढ़ने लगा उस समय महान क्रांतिकारी जननेता लोकमान्य तिलक में सोचा कि हिंदू धर्म को कैसे संगठित किया जाए लोकमान्य तिलक ने विचार किया कि भगवान श्री गणेश ही एक मात्र ऐसे देवता हैं जो समाज के सभी स्तरों में पूजनीय है गणेश उत्सव गणेशोत्सव एक धार्मिक उत्सव होने के कारण अंग्रेजी हुकूमत भी इसमें कोई दखल नहीं दे सकेंगे इसी विचार के साथ लोकमान्य तिलक ने पुणे में 1893 में सार्वजनिक गणेश उत्सव की शुरुआत की तिलक ने गणेश उत्सव को आजादी की लड़ाई के लिए प्रभावशाली साधन बनाया इस संबंध में लोकमान्य तिलक ने पुणे में एक सभा आयोजित की जिसमें यह तय किया गया कि भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तक गणेश उत्सव मनाया जाए.

दस दिनों के इस उत्सव में हिंदुओं को एकजुट करने व देश को आजाद करने के लिए विभिन्न योजनाओं पर भी चिन्तन किया जाता था. धीरे- धीरे पूरे महाराष्ट्र में सार्वजनिक गणेश उत्सव मनाया जाने लगा इसके बाद महाराष्ट्र से ही दूसरे राज्यों में गणपति पूजा की संस्कृति का संचार हुआ अब सामूहिक रूप के साथ- साथ लोग अपने घरों में गणेश उत्सव को मनाने लगे हैं और गणपति पूजा का घर में संपन्नता और सौभाग्य की मंगल कामना करते हैं.

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