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Bathing : क्यों निर्वस्त्र होकर नहाने से मना किया जाता है, क्या आप जानते हैं

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Bathing : पुराने समय के बड़े – बुजुर्ग कुछ बातों पर रोक-टोक किया करते थे। उनके अनुसार खाने, पीने, उठने, बैठने, सोने, नहाने के अलग-अलग तरीके होते थे। पुराने जमाने के लोग वेद और शास्त्रों के अच्छे जानकार होते थे। वह इनमें लिखी बातों के अनुसार ही अपना जीवन जीते थे। यही कारण था कि पुराने समय के लोगों के जीवन में कोई दोष और समस्या नहीं होती थी।

अधिकतर सभी लोंगों ने अपने घर के बङे-बूढों से सुना होगा कि कभी भी बिना कपड़ों के नहीं नहाना चाहिए। कुछ लोग बिल्कुल नग्न होकर नहाते हैं। जब वह नहाते हैं उनके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं होता। बड़े लोगों के अनुसार यह गलत माना जाता था। इसके पीछे वह अपने कुछ कारण दिया करते थे। विस्तार से चर्चा करते हैं उन सभी कारणों पर।

पौराणिक कथा

जल में पूरा निर्वस्त्र होकर नहाने को एक दोष माना जाता है। पुराने काल में इससे जुङी एक कथा सुनने को मिलती है। एक बार सभी गोपियां नदी में स्नान कर रहीं थी। सभी गोपियों ने अपने सभी वस्त्र उतारकर नदी किनारे रख दिए थे। कृष्ण भगवान वहाँ आए और उन्होंने सभी गोपियों के वस्त्र छुपा लिए।

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जब गोपियों ने कृष्ण भगवान से कपङे देने की विनती की तब उन्होनें बताया कि शास्त्रों में जल को वरुण देव की उपाधि दी गई है। जल में वरुण देव का स्थान होता है इसलिए कभी भी निर्वस्त्र होकर नहीं नहाना चाहिए। इससे जल में विराजमान वरुण देव का अपमान होता है।

पितृ दोष

कुछ लोगों का कहना है कि निर्वस्त्र होकर स्नान करना केवल स्त्री जाति के लिए ही वर्जित है लेकिन गरुण पुराण के अनुसार यह पुरुष जाति के लिए भी दोष माना जाता है। गरुण पुराण में वर्णन है कि जब हम स्नान करते हैं तो शरीर से गिरने वाले जल को पितर ग्रहण करते हैं जिससे उनकी तृप्ति होती है। ऐसे में माना जाता है कि पितरों को मिलने वाला जल झूठा हो जाता है और पितर प्यासे रहते हैं जिससे पितृ दोष लगता है।

नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि

पौराणिक मान्यता के अनुसार नहाते समय हमारे शरीर से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। अगर हमारे शरीर पर एक भी कपङा नहीं होता तो उस नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है जिससे हमारी सोच और विचार में भी नकारात्मकता आ जाती है।