अस्थमा शरीर में ऑक्सीजन की कमी के कारण होती है , जिसमे मरीज की सांस फूलने लगती है। अस्थमा को दामे की बीमारी भी कहते है। ये बीमारी फेफड़ों के नालियां पतली या सांस नालियों में ख़राबी के कारण सांस लेने में तकलीफ होती है। इस बीमारी से व्यक्ति को दौरे भी पड़ते है।
विश्व स्वास्थ संगठन के अनुमान के अनुसार भारत में लगभग २० मिलियन दमा से पीड़ित है। दमा श्वसन की अव्यवस्था के कारन उत्पन्न होता है। यह समान श्वास को प्रभावित करता है। दमा पीड़ित व्यक्ति के लिए नियमित शारीरिक गतिविधियां करना कठिन या असंभव हो जाता है। आम तौर पर 5 से 11 साल तक के बच्चों में भी होता है।
लक्षण : खांसी – विशेष रूप से रात के समय होना, हंसी या सांस लेते वक़्त होना, सांस लेने के दौरान सीटी जैसी आवाज निकलना, सीने में जकडऩ सीढिय़ां चढ़ते या व्यायाम से सांस फूलती है। छाती और गले में जकड़न महसूस होना।
बचाव : हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए, पालक और गाजर का जूस फायदेमंद होता है। लहसुन, अदरक, काली मिर्च, हल्दी का सेवन जरूर करें। गुनगुना पानी का सेवन आवश्यक करें।