Guru Gobind Singh Jayanti : गुरु गोबिंद सिंह, सिखों के 10वें गुरु थे, जिन्होंने दमन और भेदभाव के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी थी। गुरु गोबिंद सिंह के बलिदान, योगदान और वीरता के उपलक्ष में हर वर्ष गुरु गोबिंद सिंह की जयंती मनाई जाती हैं। उनकी जयंती को गुरु गोबिंद सिंह प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता हैं। गोबिंद सिंह ने सामाजिक समानता का पुरजोर समर्थन किया था।
ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक, गुरु गोबिंद सिंह की जयंती (Guru Gobind Singh Jayanti) हर वर्ष दिसंबर या जनवरी माह में आती है। हालांकि गुरु गोबिंद सिंह की जयंती का वार्षिक उत्सव नानकशाही कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता हैं। पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गुरु गोबिंद सिंह की जयंती (Guru Gobind Singh Jayanti) मनाई जाती है, जो कि आज यानी 29 दिसंबर 2022 को मनाई जाएगी।
कई कार्यक्रमों का किया जाता है आयोजन
गुरु गोबिंद सिंह आध्यात्मिक गुरु होने के साथ-साथ एक कवि, दार्शनिक, योद्धा और लेखक भी थे। गोबिंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर, 1666 को बिहार के पटना शहर में हुआ था और वर्ष 1708 में उनका निधन हुआ था। उनकी जयंती (Guru Gobind Singh Jayanti) के दिन गुरुद्वारों में बड़ी सभाओं का आयोजन किया जाता है, जिसमें भक्ति गीत गाए जाते हैं। साथ ही विशेष प्रार्थना भी की जाती है।
इसके अलावा भजन-कीर्तन,अरदास और लंगर की भी विशेष व्यवस्था की जाती है। स्वर्ण मंदिर और तमाम गुरुद्वारों को आज भव्य रूप से सजाया जाता है। साथ ही जगह-जगह फेरियां निकाली जाती हैं।
खालसा पंथ की थी स्थापना
बता दें कि गोबिंद सिंह (Guru Gobind Singh Jayanti) ने सिख धर्म के लिए कई नियम बनाए थे, जिनका आज भी पालन किया जाता है। उन्होंने सिखों के लिए पांच ककार यानी केश (बिना कटे बाल), कंघा (लकड़ी की कंघी), कारा (कलाई पर पहना जाने वाला लोहे या स्टील का कड़ा), कृपान (एक तलवार) और कचेरा (छोटी जांघिया) का भी नियम बनाया था। इसके अलावा उन्होंने (Guru Gobind Singh) खालसा पंथ की भी स्थापना की थी, जिसके लिए उन्होंने खालसा वाणी दी थी।