2024 लोकसभा चुनावों से पहले मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियां एकजुट होना का भरपूर प्रयास कर रही हैं। हालांकि इस कथित विपक्षी एकता को बार-बार झटका लग रहा है। विपक्षी पार्टियां आपस में ही भिड़ती नजर आ रही हैं और इसमें दो प्रमुख पार्टियां कांग्रेस और TMC शामिल हैं।
विपक्षी नेताओं से मार्च से TMC ने बनाई दूरी
दरअसल, एक ओर संसद में जहां बीजेपी राहुल गांधी के बयानों को मुद्दा बनाकर इस पर जमकर हंगामा कर रही है। तो इसी बीच विपक्षी नेताओं ने बुधवार को अडानी मुद्दे को लेकर एक मार्च निकाला था। हालांकि इस मार्च से NCP और TMC ने दूरी बनाकर रखी। केवल इतना ही नहीं अब तो TMC की ओर से कांग्रेस को एक बड़ी चेतावनी भी दी है कि वो उसे हल्के में लेने की भूल न करें।
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खबरों की मानें तो TMC लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा की जाने वाली टिप्णणियों से नाराज हैं। यही कारण है कि TMC के द्वारा विपक्ष की ओर से ईडी निदेशक एसके मिश्रा को लिखे गए उस पत्र पर भी हस्ताक्षर नहीं किए, जिसमें अडानी ग्रुप के खिलाफ लगे आरोपों की जांच की मांग की गई थी। इसके बाद TMC ने विपक्षी नेताओं के मार्च से खुद को अलग रखा।
इसको लेकर TMC के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस हमें हल्के में नहीं ले सकती। एक तरफ इनके नेता ममता-मोदी और अडानी के बीच कथित संबंधों के आरोप लगाते हैं। दूसरी ओर ये उम्मीद करते हैं कि TMC इनका साथ देगी। आपको बता दें कि इस दौरान TMC नेता ने किसी का नाम नहीं लिया। हालांकि उन्होंने कहा कि कांग्रेस के जिस नेता ने टिप्पणी की, वो लोकसभा में पार्टी के नेता हैं।
TMC-कांग्रेस में उपचुनाव के बाद बढ़ी तकरार?
आपको बता दें कि कांग्रेस और TMC के बीच तल्खी पश्चिम बंगाल की सागरदिघी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के बाद से बढ़ी है। दरअसल, इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी की जीत हुई थी, जिसके बाद TMC भड़क गई थी। उन्होंने कांग्रेस और बीजेपी के बीच अनैतिक गठबंधन तक का आरोप लगा दिया था। इसके अलावा ममता बनर्जी ने ऐलान कर दिया था कि उनकी पार्टी 2024 का लोकसभा चुनाव अकेले अपने दम पर लड़ेगीं, जिससे विपक्षी एकजुटता को बड़ा झटका लगा था।
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