Sea Level : साल 2024 अब समाप्त होने को है. आज से चंद दिनों के बाद नया साल 2025 दस्तक दे देगा. पर हर बितते साल के साथ ही एक समस्या दुनिया को परेशान कर रही है. खासकर उन देशों को जिनके कई शहर समुंद्र के किनारे बसे हैं. दरअसल, ग्लोबल वार्मिंग आजकल की आधुनिक दुनिया की एक बड़ी समस्याओं में से एक है. इसकी वजह से हमारी धरती का तापमान बढ़ घट रहा है और इसके कारण गर्मी और बढ़ रही है. धरती के गर्म होने के कारण ग्लेशियर पिघल रहे है और इससे समुंद्र के जलस्तर में बढ़ोतरी हो रही है.
समुंद्र का जलस्तर बढ़ना चिंताजनक है. इसने गंभीर चिंताएं पैदा कर दी है. इस मामले पर संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन की एक रिपोर्ट बताती है कि प्रशांत महासागर का जलस्तर वैश्विक औसत से अधिक बढ़ रहा है. बताया गया है कि इससे निचले द्वीपीय देशों के बड़े भूभाग के डूबने का खतरा मंडरा रहा है. अब बात अगर वैश्विक स्तर की करें तो समुंद्र के जस्तर में बढ़ोतरी हो रही है और साथ ही जीवाश्म इंधनों के लगातार जलने से धरती के तापमान में बढ़ोतरी के कारण शक्तिशाली और मोटी बर्फ की चट्टानें पिघल रही हैं.
कहा गया है कि महासागर गर्म हो रहे है और इसके कारण मॉलिक्यूल्स का विस्तार हो रहा है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि प्रशांत महसागर क्षेत्र के दो माप क्षेत्रों, ऑस्ट्रेलिया के उत्तर और पूर्व में औसत वार्षिक वृद्धि काफी अधिक है. बताया गया है कि पिछले तीन दशकों में यह वैश्विक वृद्धि प्रति वर्ष 3.4 मिलीमीटर की थी. समुंद्रों के जलस्तर में बढ़ोतरी साल 1980 से ही शुरू है. समुंद्र तटों पर आने वाली बाढ़ इसी का नतीजा बताई जाती है.
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इस संबंध में वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भी ये घटनाएं तेज हो सकती हैं, क्योंकि समुद्र की सतह का तापमान बढ़ रहा है. ऐसे में हमें क्या करना होगा. तो इसका जवाब है हमें अपनी गतिविधियों पर नियंत्रण करना होगा. कहने का अर्थ है कि हमें जीवाश्म ईंधन की खपत पर लगाम लगानी होगी. पेड़ों का अंधाधुंध कटान रोकना पड़ेगा. वैसी सभी गतिविधियों पर लगाम लगाने की आवश्यकता है जो हमारी पृथ्वी के तापमान को बढ़ा रहे हैं.