Thursday, November 21, 2024
MGU Meghalaya
HomeभारतSC/ST Reservation : बड़ा फैसला, एससी/एसटी के आरक्षण में क्रीमी लेयर...

SC/ST Reservation : बड़ा फैसला, एससी/एसटी के आरक्षण में क्रीमी लेयर का सिद्धांत नहीं होगा लागू

SC/ST Reservation : केंद्र सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है कि अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के आरक्षण में क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू नहीं किया जाएगा। यह फैसला उस समय आया है जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इस मामले पर विचार करने का सुझाव दिया था। इस निर्णय का प्रभाव देश के लाखों SC/ST समुदायों पर पड़ेगा और इसके राजनीतिक और सामाजिक परिणाम भी दूरगामी होंगे। आइए, इस फैसले के विभिन्न पहलुओं और इसके संभावित प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करें।

क्रीमी लेयर क्या है?

क्रीमी लेयर का सिद्धांत भारतीय संविधान में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को आरक्षण का लाभ देते समय लागू किया जाता है। इसका अर्थ है कि पिछड़े वर्गों के उन लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा जो आर्थिक रूप से संपन्न हैं या उच्चतर सामाजिक स्थिति में हैं। यह सिद्धांत अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए लागू किया गया था ताकि आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित लोगों को ही आरक्षण का लाभ मिल सके। परंतु, SC/ST के संदर्भ में यह सिद्धांत अभी तक लागू नहीं किया गया था।

ये भी पढ़ें : Martyr Pension: संसद में सरकार ने किया साफ, शहीद जवान की पेंशन पर किसका अधिकार

सुप्रीम कोर्ट का सुझाव

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सुझाव दिया था कि SC/ST के आरक्षण में भी क्रीमी लेयर के सिद्धांत पर विचार किया जाए। न्यायालय का मानना था कि समाज के अधिक संपन्न वर्गों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए और इसे उन लोगों तक सीमित किया जाना चाहिए जो वास्तव में वंचित और जरूरतमंद हैं। इसके पीछे तर्क यह था कि अगर क्रीमी लेयर का सिद्धांत SC/ST के लिए भी लागू होता है, तो आरक्षण का लाभ सही मायनों में उन लोगों को मिलेगा जो इसकी अधिक आवश्यकता रखते हैं।

केंद्र सरकार का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट के सुझाव के बावजूद, केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया कि SC/ST के आरक्षण में क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू नहीं किया जाएगा। सरकार का तर्क है कि SC/ST समुदायों को ऐतिहासिक रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से उत्पीड़ित किया गया है, और उन्हें आरक्षण के बिना सशक्तिकरण के अवसर कम मिलेंगे। इसीलिए, SC/ST के आरक्षण में क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू करने से उनकी स्थिति में सुधार की उम्मीदें कम हो सकती हैं।

राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

केंद्र सरकार का यह निर्णय राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। SC/ST समुदायों का समर्थन भारतीय राजनीति में अहम भूमिका निभाता है, और इस समुदाय के मतदाताओं को खुश करने के लिए यह निर्णय लिया जा सकता है। हालांकि, इस निर्णय ने कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों के बीच विवाद उत्पन्न किया है। कई लोग मानते हैं कि क्रीमी लेयर का सिद्धांत लागू न करने से SC/ST समुदाय के संपन्न वर्गों को ही आरक्षण का लाभ मिलेगा, जबकि वास्तव में जरूरतमंद लोग इससे वंचित रह जाएंगे।

आरक्षण का उद्देश्य

आरक्षण का मूल उद्देश्य सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देना है। यह उन लोगों के लिए है जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं और जिन्हें मुख्यधारा में आने के लिए मदद की आवश्यकता है। हालांकि, जब संपन्न वर्गों को भी आरक्षण का लाभ मिलता है, तो यह उद्देश्य कमज़ोर पड़ जाता है। क्रीमी लेयर का सिद्धांत इस समस्या का समाधान करने के लिए लाया गया था ताकि आरक्षण का सही लाभ उन लोगों तक पहुंचे जो वास्तव में पिछड़े हैं।

केंद्र सरकार द्वारा SC/ST आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू न करने का निर्णय देश के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। यह फैसला समाज के वंचित वर्गों को आरक्षण का लाभ देने के उद्देश्य से लिया गया है, लेकिन इसके आलोचक भी कम नहीं हैं। इस मुद्दे पर आगे भी विचार-विमर्श और बहस होती रहेगी, और समय ही बताएगा कि यह निर्णय कितना प्रभावी साबित होता है।

- Advertisment -
Most Popular