Karnataka Result 2023: वो 5 कारण, जिनके चलते बीजेपी नहीं बचा पाई कर्नाटक में सत्ता?

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कर्नाटक के लिए आज का दिन काफी अहम है। कौन सी पार्टी कर्नाटक पर सत्ता पर राज करने वाली हैं, आज ये तय होने जा रहा है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित किए जा रहे है। सुबह 8 बजे से मतगणना शुरू हो चुकी है और स्थिति अब काफी हद तक साफ होती नजर आ रही है। रुझानों में कांग्रेस को राज्य में स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है। वहीं बीजेपी का प्रदर्शन काफी खराब नजर आ रहा है। 2018 के कर्नाटक चुनावों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और 104 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि इस बार खबर लिखे जाने तक तो पार्टी केवल 66 सीटों पर ही आगे चल रही है। कर्नाटक में BJP की हार के कारण क्या हैं, आज इस आर्टिकल में हम इसी पर चर्चा करेंगे…

BJP के पास नहीं था मजबूत चेहरा

कर्नाटक में BJP की हार का बड़ा कारण पार्टी के पास मजबूत चेहरा न होना माना जा रहा है। पार्टी ने येदियुरप्पा को हराकर बसवराज बोम्मई को कर्नाटक की कमान सौंपी थी और उन्हें मुख्यमंत्री बनाया। हालांकि सीएम की कुर्सी पर रहते हुए बोम्मई का कोई खासा प्रभाव नहीं देखने को मिला। यही बीजेपी की हार का बड़ा कारण माना जा सकता है। दूसरी ओर कांग्रेस की बात करें तो उसके पास डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया जैसे मजबूत चेहरे थे। ऐसा लगता है कि बोम्मई को आगे कर चुनावी मैदान में उतरना बीजेपी को भारी पड़ गया।

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भ्रष्टाचार का मामला

कर्नाटक में बीजेपी सरकार भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर विवादों में घिरी रही। कांग्रेस ने बीजेपी सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरा और इस दौरान 40% कमीशन वाली सरकार का नारा भी दिया। करप्शन के मुद्दे को लेकर ही एस ईश्वरप्पा को मंत्री पद से इस्तीफा तक देना पड़ा था तो वहीं एक बीजेपी विधायक को जेल भी जाना पड़ा। बीजेपी के लिए यह मुद्दा चुनाव बड़ी मुसीबत बन गया, जिसका असर भी अब चुनाव परिणाम पर भी देखने को मिल रहा है।

नहीं चल पाया ध्रुवीकरण का दांव

कर्नाटक में बीजेपी के नेताों ने हलाला से लेकर हिजाब और अजान जैसे कई मुद्दों को तूल दिया। मतदान से ठीक पहले बजरंगबली के मुद्दे को लेकर भी खूब राजनीति हुई, लेकिन ऐसा लगता है कि बीजेपी का धार्मिक ध्रुवीकरण का दांव फेल हो गया। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में बजरंग दल को बैन करने की बात कही, तो बीजेपी द्वारा इसे बजरंग बली से अपमान से जोड़ा गया। लेकिन बीजेपी का ये दांव कुछ काम नहीं आया।

सियासी समीकरण नहीं साध सकी बीजेपी

कर्नाटक के BJP राजनीतिक समीकरण साधकर नहीं रख पाई। न तो पार्टी ने अपने कोर वोट बैंक लिंगायत समुदाय को अपने साथ जोड़े रखा और न ही दलित, आदिवासी, ओबीसी और वोक्कालिंगा समुदाय को अपने साथ लाने में कामयाब हो सकी।

येदियुरप्पा साइन लाइन, दिग्गजों ने छोड़ा साथ

कर्नाटक में BJP को खड़ा करने में पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा की भूमिका काफी अहम रही है, लेकिन इस बार चुनाव के दौरान वो साइड लाइन ही रहे। वहीं चुनाव से पहले कई दिग्गज नेताओं ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया। पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी का टिकट न मिलने पर कांग्रेस का दामन थाम लिया। ये तीनों ही नेता लिंगायत समुदाय से संबंध रखते है। बीजेपी को इसका खामियाजा भी उठाना पड़ा।

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