Gaganyaan Mission : गगनयान मिशन को लेकर PM Modi की बड़ी बैठक, जानें किस बात पर हुई चर्चा

Gaganyaan Mission

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Gaganyaan Mission : चंद्रयान, सूर्ययान के बाद भारत अपने अगले मिशन की तैयारी में लग गया है। जल्द ही इसरो अंतरिक्ष में अपना नया मिशन लॉन्च करने वाला है जिसका नाम ‘गगनयान मिशन’ है। इस मिशन लेकर पीएम मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों के साथ बैठक की। भारत के गगनयान मिशन की प्रगति का आकलन करने और भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों के भविष्य की रूपरेखा तैयार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक हाई लेवल बैठक की अध्यक्षता की जो सफल रही। प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि गगनयान मिशन पर पीएम मोदी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक के दौरान, अंतरिक्ष विभाग ने मिशन का एक व्यापक अवलोकन प्रस्तुत किया, जिसमें अब तक विकसित विभिन्न प्रौद्योगिकियां जैसे मानव-रेटेड लॉन्च वाहन और सिस्टम योग्यता शामिल हैं।

पीएम मोदी ने बैठक में मिशन की तैयारियों का मूल्यांकन किया

बैठक में कई बातों को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में मिशन की तैयारियों का मूल्यांकन किया गया और 2025 तक इसके लॉन्च करने की पुष्टि की गई। बैठक में पीएम मोदी ने निर्देश दिया कि भारत को अब नए और महत्वाकांक्षी लक्ष्यों पर काम करना चाहिए, जिसमें 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना और 2040 तक चंद्रमा पर इंसान को भेजना शामिल है। प्रधानमंत्री ने भारतीय वैज्ञानिकों से अंतरग्रहीय मिशनों की दिशा में काम करने का भी आह्वान किया, जिसमें एक वीनस ऑर्बिटर मिशन और एक मंगल लैंडर शामिल होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की क्षमताओं पर विश्वास व्यक्त किया और अंतरिक्ष अन्वेषण में नई ऊंचाइयों को छूने के लिए देश की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

एयरफोर्स और नेवी का रहने वाला है  विशेष योगदान

आपको बता दें कि गगनयान प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए इसरो के साइंटिस्टों के साथ-साथ आर्मी और एयरफोर्स भी जुटी है। जी हां, गगनयान के लिए यात्री चुनने की जिम्मेदारी भारतीय वायुसेना को दी गई थी। IAF के चार पायलटों ने रूस में अपनी ट्रेनिंग पूरी कर ली है। इन्हें मॉस्को के नजदीक रूसी स्पेस सेंटर में एस्ट्रोनॉट बनने का प्रशिक्षण दिया गया। आपको बता दें कि गगनयान के लिए 21 अक्टूबर को सुबह सात से 9 बजे के बीच इसरो श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से मानव रहित उड़ान परीक्षण शुरू करेगा। अगर भारत मिशन में कामयाब रहा तो वह ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। अब तक अमेरिका, चीन और रूस ऐसा कर चुके हैं। ​

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