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National Human Rights Commission: पूर्व जज वी. रामासुब्रमण्यन की होंगे NHRC के नये अध्यक्ष, लगी मुहर

National Human Rights Commission: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) वी. रामासुब्रमण्यन को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। इसके साथ ही प्रियांक कानूनगो और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बिद्युत रंजन सारंगी को एनएचआरसी का सदस्य नियुक्त किया गया है।

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National Human Rights Commission: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) वी. रामासुब्रमण्यन को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। इसके साथ ही प्रियांक कानूनगो और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बिद्युत रंजन सारंगी को एनएचआरसी का सदस्य नियुक्त किया गया है। यह घोषणा आयोग को लंबे समय से खाली पड़े नेतृत्व पद के लिए एक नई दिशा प्रदान करती है।

वी. रामासुब्रमण्यन: न्यायपालिका का गहरा अनुभव

न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यन का तमिलनाडु के मन्नारगुडी में जन्म हुआ। वह सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रहे हैं और अपने कार्यकाल में 102 फैसले लिखे। न्यायमूर्ति रामासुब्रमण्यन ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी सेवा दी। इसके अलावा, वह मद्रास हाई कोर्ट और तेलंगाना हाई कोर्ट के न्यायाधीश भी रहे। सुप्रीम कोर्ट में उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने 2016 की नोटबंदी नीति और रिश्वत मामलों में परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की वैधता पर महत्वपूर्ण सुनवाई की।

29 जून 2023 को सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्ति के बाद उनकी नियुक्ति एनएचआरसी के अध्यक्ष के रूप में हुई है। उनके पास न्यायिक और प्रशासनिक कार्यों में व्यापक अनुभव है, जो उन्हें मानवाधिकारों की रक्षा और संवर्धन में अहम भूमिका निभाने में मदद करेगा।

नए सदस्य और उनकी भूमिका

प्रियांक कानूनगो, जो पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष थे, को भी एनएचआरसी का सदस्य नियुक्त किया गया है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान बच्चों के यौन शोषण और उत्पीड़न के मामलों पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि एनएचआरसी सदस्य के रूप में वह मानवाधिकार संरक्षण की अपनी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा से निभाएंगे।
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बिद्युत रंजन सारंगी को भी एनएचआरसी का सदस्य बनाया गया है, जिससे आयोग को एक सशक्त नेतृत्व और व्यापक अनुभव प्राप्त हुआ है।

एनएचआरसी में नेतृत्व का अभाव

एनएचआरसी प्रमुख का पद 1 जून 2024 से खाली था। इससे पहले, सेवानिवृत्त जज अरुण कुमार मिश्रा ने जून 2021 से 1 जून 2024 तक इस पद पर सेवा दी थी। उनके कार्यकाल की समाप्ति के बाद, विजया भारती को कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।

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एनएचआरसी प्रमुख की नियुक्ति की प्रक्रिया

एनएचआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर की जाती है। इस समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं, जबकि लोकसभा अध्यक्ष, गृह मंत्री, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता, और राज्यसभा के उप सभापति इसके सदस्य होते हैं। यह प्रक्रिया आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष नेतृत्व प्रदान करने के लिए बनाई गई है।

एनएचआरसी का महत्व

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भारत में मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए सर्वोच्च संस्था है। यह व्यक्तियों के मूलभूत अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य करता है। एनएचआरसी न केवल मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच करता है, बल्कि पीड़ितों को राहत प्रदान करने और नीतिगत सुधार की सिफारिश करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

न्यायमूर्ति रामासुब्रमण्यन से अपेक्षाएं

एनएचआरसी के नए अध्यक्ष के रूप में न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यन से यह उम्मीद की जाती है कि वह आयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। उनके न्यायिक अनुभव और निष्पक्षता के साथ, आयोग को मानवाधिकारों के उल्लंघन पर तेजी से कार्रवाई करने और नागरिक अधिकारों की रक्षा में मजबूत भूमिका निभाने की दिशा में काम करने का अवसर मिलेगा।

इस नियुक्ति से एनएचआरसी को न केवल एक नया नेतृत्व मिला है, बल्कि मानवाधिकारों की रक्षा के लिए नई ऊर्जा भी प्राप्त हुई है।