नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी कई विपक्षी पार्टियां, अब तक इन दलों ने किया बहिष्कार

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई रविवार को नई संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। हालांकि इससे पहले ही इसको लेकर देश में राजनीति तेज होती चली जा रही। कई विपक्षी दल अब नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार तक करने का फैसला ले रहे हैं। इसमें राष्ट्रीय जनता दल यानी राजद और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का नाम भी जुड़ गया है। प्रवक्ता ने जानकारी दी कि NCP नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी। पार्टी ने इस मुद्दे पर अन्य समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के साथ खड़े होने का फैसला किया है।

कई अन्य दलों ने भी किया बहिष्कार का ऐलान

RJD-NCP से पहले कई अन्य विपक्षी दल भी उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होने का फैसला ले चुके हैं। इस लिस्ट में उद्धव ठाकरे का गुट शामिल है। राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि सभी विपक्षी दलों ने 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है और हम भी ऐसा ही करेंगे। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) भी इस समारोह का हिस्सा नहीं बनेगी। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की सांसद तिरुचि शिवा ने कहा कि हमारी पार्टी भी नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी। हमने बहिष्कार करने का फैसला लिया है।

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इसके अलावा आम आदमी पार्टी और भारतीय भाकपा ने मंगलवार को नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का ऐलान किया था। माना जा रहा है कि कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के भी उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की संभावना है। कहा ये भी जा रहा है कि बहिष्कार को लेकर एक संयुक्त बयान जल्द ही जारी किया जा सकता है।

क्यों छिड़ा है विवाद? 

दरअसल, विपक्ष की ओर से नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जगह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों कराए जाने की मांग उठाई जा रही हैं। वहीं उद्घाटन कार्यक्रम में राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करने का आरोप लगाकर विपक्ष सरकार पर हमलावर हो रहा है। आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को आमंत्रित नहीं करना उनका घोर अपमान है। यह आदिवासियों का भी अपमान है। आम आदमी पार्टी इसके विरोध में उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करेगी।

आपको बता दें कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीते दिनों ट्विटर के माध्यम से नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने की मांग उठाई थी। इसके बाद इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया और बाकी विपक्षी दलों ने भी यही मांग की। इसके साथ ही राष्ट्रपति को उद्घाटन समारोह में नहीं बुलाने को लेकर भी विपक्ष द्वारा सरकार पर निशाना साधा जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार ने केवल राजनीतिक कारणों से अनुसूचित जाति और आदिवासी समुदायों के लोगों को भारत का राष्ट्रपति बनाया। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नई संसद के शिलान्यास समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया था। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं किया जा रहा है। राष्ट्रपति संसद की संवैधानिक मुखिया हैं। केंद्र सरकार ने सिर्फ चुनावी लाभ के लिए दलित और अनुसूचित जाति से राष्ट्रपति बनाए।

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