Himachal Bhawan Delhi: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नई दिल्ली के 27 सिकंदरा रोड, मंडी हाउस स्थित हिमाचल भवन को कुर्क करने का आदेश दिया है। यह आदेश सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड द्वारा ऊर्जा विभाग के खिलाफ दायर अनुपालना याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने जारी किया। इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आर्बिट्रेशन अवॉर्ड का पालन करना अनिवार्य है।
कुर्की का कारण और सरकार की चूक
कोर्ट ने पाया कि 64 करोड़ रुपये की राशि सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित आर्बिट्रेशन अवॉर्ड कोर्ट में जमा नहीं की गई है। इस देरी के कारण दैनिक आधार पर ब्याज बढ़ रहा है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से हो रहा है। कोर्ट ने इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जांच करने और दोषी पाए जाने पर उनसे व्यक्तिगत रूप से ब्याज वसूलने का आदेश दिया।
क्या हैं मामला ? | Himachal Pradesh High Court
13 जनवरी 2023 को हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सरकार को आदेश दिया था कि वह सेली हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी को 64 करोड़ रुपये का अग्रिम प्रीमियम सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित लौटाए। इसके बाद खंडपीठ ने इस आदेश पर अंतरिम रोक लगाई थी, लेकिन यह शर्त रखी थी कि यदि सरकार यह राशि कोर्ट में जमा नहीं कर पाती, तो रोक हटा दी जाएगी।
सरकार द्वारा यह राशि समय पर जमा न करने के कारण 15 जुलाई 2024 को खंडपीठ ने रोक हटाने का आदेश दिया। इसके बाद यह मामला और गंभीर हो गया, क्योंकि ब्याज का बोझ लगातार बढ़ रहा है।
15 दिन में जांच का निर्देश
ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव को आदेश दिया गया है कि वे 15 दिनों के भीतर इस मामले की जांच कर दोषी अधिकारियों की पहचान करें। इस जांच रिपोर्ट को अगली सुनवाई पर, जो कि 6 दिसंबर 2024 को निर्धारित है, कोर्ट में प्रस्तुत करना होगा।
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हिमाचल भवन का महत्व और विवाद
हिमाचल भवन दिल्ली में हिमाचल प्रदेश की एक महत्वपूर्ण संपत्ति है। इसका उपयोग सरकारी बैठकों, आयोजनों और राज्य के निवासियों के ठहरने के लिए किया जाता है। इस भवन को कुर्क करने के आदेश पर पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे प्रदेश की गरिमा और सम्मान पर आघात बताते हुए सरकार की कड़ी आलोचना की। ठाकुर ने कहा कि सरकार की लापरवाही के कारण हिमाचल भवन जैसी प्रतिष्ठित संपत्ति पर नीलामी का खतरा मंडरा रहा है।
सरकार पर सवाल और राजनीतिक आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मौजूदा सरकार की उदासीनता के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है। उन्होंने इसे हिमाचल प्रदेश की प्रतिष्ठा के लिए शर्मनाक करार दिया। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह इस संपत्ति को बचाने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाए।
हिमाचल भवन को कुर्क करने का हाईकोर्ट का आदेश राज्य सरकार के लिए एक बड़ा झटका है। यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि सरकारी खजाने पर बढ़ते ब्याज के बोझ और राज्य की संपत्तियों की सुरक्षा के प्रति लापरवाह रवैये को भी दर्शाती है। इस मामले का समाधान जल्द निकालना सरकार के लिए आवश्यक है, ताकि प्रदेश की प्रतिष्ठा और संपत्ति को सुरक्षित रखा जा सके।