Haryana Elections : हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणामों ने राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचा दी है। इस चुनाव में सबसे दिलचस्प बात यह रही कि प्रदेश में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई वरिष्ठ मंत्री अपनी सीटों पर संघर्ष करते नजर आए। इनमें मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ-साथ 10 मंत्री चुनावी मैदान में थे। इन मंत्रियों के चुनावी प्रदर्शन पर सबकी निगाहें थीं क्योंकि इनके जीतने या हारने से राज्य सरकार की स्थिति पर असर पड़ सकता है।
सरकार की स्थिति और मंत्रियों का प्रदर्शन
इस बार भाजपा सरकार ने मुख्यमंत्री पद पर नायब सिंह सैनी को बिठाया, जिनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया। नायब सैनी ने कुरुक्षेत्र जिले की लाडवा सीट से चुनाव लड़ा और विजयी हुए। वहीं, उनके साथ चुनाव मैदान में उतरे 10 मंत्रियों में से आधे से ज्यादा अपनी सीटें गंवाने की स्थिति में हैं। स्वास्थ्य मंत्री कमल गुप्ता और खेल राज्य मंत्री संजय सिंह को हार का सामना करना पड़ा है। वहीं, अन्य मंत्री जैसे असीम गोयल, कंवरपाल और जय प्रकाश दलाल भी अपनी सीटों पर पीछे चल रहे हैं। मुख्यमंत्री नायब सैनी, मूल चंद शर्मा, अभय सिंह यादव, और महिपाल ढांडा अपनी-अपनी सीटों पर आगे हैं।
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नायब सिंह सैनी का प्रदर्शन और उनके मंत्रालय की स्थिति
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने लाडवा सीट से चुनाव लड़ा। यहां उनके सामने कांग्रेस के मेवा सिंह, आप के जोगा सिंह, जननायक जनता पार्टी के विनोद कुमार शर्मा और इनेलो के सपना बड़शामी चुनावी मैदान में थे। सैनी ने अपने प्रमुख प्रतिद्वंदी कांग्रेस के मेवा सिंह को हराकर यह सीट अपने नाम की। सैनी का जीतना उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि यह सीट राजनीतिक रूप से काफी अहम मानी जाती है। सैनी को मुख्यमंत्री बनने से पहले कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से सांसद के रूप में जाना जाता था, और उनके नाम पर वोट देने वाले मतदाताओं ने उन्हें विधानसभा में भी समर्थन दिया।
मंत्रियों के प्रदर्शन की समीक्षा
1. कमल गुप्ता (स्वास्थ्य मंत्री) – हार
कमल गुप्ता को हिसार सीट से हार का सामना करना पड़ा। इस सीट पर जिंदल परिवार का लंबे समय से प्रभाव रहा है, और इस बार सावित्री जिंदल ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरकर भाजपा के लिए कड़ी चुनौती पेश की।
2. असीम गोयल (विकास एवं पंचायत राज्य मंत्री) – पीछे
असीम गोयल ने अंबाला सिटी सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन वर्तमान रुझानों के अनुसार वे पीछे चल रहे हैं। पिछले चुनाव में गोयल ने निर्दलीय उम्मीदवार को हराया था, पर इस बार कांग्रेस के निर्मल सिंह के सामने उनकी स्थिति कमजोर नजर आई।
3. मूल चंद शर्मा (उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री) – आगे
मूल चंद शर्मा ने बल्लभगढ़ सीट से चुनाव लड़ा, और वह फिलहाल आगे चल रहे हैं। उन्होंने 2019 के चुनाव में कांग्रेस के आनंद कौशिक को हराया था, और इस बार भी उन्होंने कांग्रेस और आप उम्मीदवारों के खिलाफ मजबूत प्रदर्शन किया।
4. कंवरपाल (कृषि मंत्री) – पीछे
कंवरपाल ने जगाधरी सिटी सीट से चुनाव लड़ा लेकिन वर्तमान रुझानों में वह पीछे हैं। पिछली बार उन्होंने कांग्रेस के अकरम खान को हराया था, पर इस बार अकरम खान के साथ-साथ आप और अन्य दलों के उम्मीदवारों ने उन्हें कड़ी टक्कर दी है।
5. जय प्रकाश दलाल (वित्त मंत्री) – पीछे
लोहारू सीट से वित्त मंत्री जय प्रकाश दलाल भी इस बार पीछे चल रहे हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के सोमवीर सिंह को हराया था। पर इस बार कांग्रेस के राजबीर फड़तिया और अन्य दलों के उम्मीदवारों ने उनकी जीत को मुश्किल बना दिया है।
6. अभय सिंह यादव (सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री) – आगे
अभय सिंह यादव ने नांगल चौधरी से चुनाव लड़ा और वह फिलहाल आगे चल रहे हैं। उन्होंने पिछले चुनाव में जजपा उम्मीदवार को हराया था और इस बार भी कांग्रेस के मंजू चौधरी के सामने अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखी।
7. संजय सिंह (खेल राज्य मंत्री) – हार
नूंह सीट से संजय सिंह को हार का सामना करना पड़ा है। पिछली बार यह सीट कांग्रेस के कब्जे में थी और इस बार भी कांग्रेस उम्मीदवार आफताब अहमद ने उन्हें हराकर जीत हासिल की।
8. महिपाल ढांडा (विकास एवं पंचायत राज्य मंत्री) – आगे
महिपाल ढांडा पानीपत ग्रामीण सीट से आगे चल रहे हैं। 2019 में उन्होंने जजपा के उम्मीदवार को हराया था। इस बार भी उन्होंने कांग्रेस के सचिन कुंडू और अन्य उम्मीदवारों के खिलाफ मजबूत स्थिति बनाए रखी।
9. सुभाष सुधा (शहरी स्थानीय निकाय मंत्री) – हार
सुभाष सुधा थानेसर सीट से चुनाव लड़े और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। पिछली बार भी उन्होंने कांग्रेस के अशोक कुमार अरोड़ा को मामूली अंतर से हराया था, लेकिन इस बार अशोक अरोड़ा ने उन्हें पराजित कर दिया।
चुनावी गणित और भाजपा के लिए चुनौतियाँ
हरियाणा में इस बार का चुनाव भाजपा के लिए कठिन साबित हुआ है। हालांकि मुख्यमंत्री नायब सैनी और कुछ अन्य मंत्रियों ने अपनी सीटें बचा ली हैं, पर कई महत्वपूर्ण मंत्रियों की हार ने सरकार के सामने नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। नायब सैनी का नेतृत्व कई मुद्दों पर सवालों के घेरे में था, जैसे कि किसानों के मुद्दे, कानून व्यवस्था, और बेरोजगारी। इन मुद्दों का असर चुनाव परिणामों में देखने को मिला है।
भाजपा को राज्य में ओबीसी और अन्य पिछड़े वर्गों के समर्थन में कमी का सामना करना पड़ा। वहीं कांग्रेस और जजपा जैसे विपक्षी दलों ने इन वर्गों के बीच अपनी पैठ मजबूत की है। जजपा और कांग्रेस ने गठजोड़ के माध्यम से कई सीटों पर भाजपा को सीधी टक्कर दी है, जिससे भाजपा के लिए चुनाव जीतना और भी कठिन हो गया।
हरियाणा के चुनावी नतीजे भाजपा के लिए एक सबक के रूप में देखे जा सकते हैं। मंत्रियों की हार और सरकार के प्रति जनता का रुख यह स्पष्ट करता है कि राज्य की राजनीति में बदलाव की मांग बढ़ रही है। मुख्यमंत्री नायब सैनी की जीत भाजपा के लिए एक राहत है, लेकिन कई महत्वपूर्ण सीटों पर मंत्री और वरिष्ठ नेता हारने के बाद यह स्पष्ट है कि पार्टी को अपनी रणनीति में सुधार करना होगा।