Bhishma Dwadashi 2023 : हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भीष्म द्वादशी मनाई जाती हैं। इन दिन कृष्ण जी, भगवान नारायण और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना करना बहुत ज्यादा शुभ होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य उत्तरायण के समय जब पितामह भीष्म जी ने अपने प्राण त्याग दिए थे। तो अष्टमी में उनका अंतिम संस्कार किया गया था। जबकि माघ शुक्ल द्वादशी को अंतिम क्रिया कलाप हुआ था। इसी वजह से इसे भीष्म द्वादशी (Bhishma Dwadashi 2023) कहा जाता है। हालांकि देश के कई राज्यों में इसे गोविंद द्वादशी के नाम से भी जाना जाता हैं। इस बार द्वादशी आज यानी 02 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी।
भीष्म द्वादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त
बता दें कि माघ माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि का आरंभ 01 फरवरी 2023 की दोपहर 02 बजकर 01 मिनट से हो गया है, जिसका समापन आज यानी 2 फरवरी की शाम 04 बजकर 26 मिनट पर होगा। जबकि कृष्ण जी, माता लक्ष्मी और भगवान नारायण की आराधना करने का उत्तम मुहूर्त आज सुबह 07 बजकर 09 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 30 मिनट तक का है। इसके अलावा आज (Bhishma Dwadashi 2023) भगवान कृष्ण जी की पूजा-अर्चना करने से और पितरों का तर्पण करने से रोग-पितृ दोष भी दूर होते हैं।
भीष्म द्वादशी का महत्व
भीष्म द्वादशी के दिन भगवान की सच्चे श्रद्धा-भाव से पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती हैं। साथ ही जीवन में शांति, सुख, समृद्धि, वैभव और धन का वास होता है। इसके अलावा आज के पावन दिन पितामह भीष्म को जल से तर्पण करने का भी विधान है।
आज (Bhishma Dwadashi 2023) शुभ मुहूर्त में भगवान की मूर्ती को पंचामृत से स्नान जरूर कराना चाहिए। भगवान कृष्ण जी, नारायण जी और माता लक्ष्मी को आज फूल, अक्षत्, दीप, धूप, गंध, तुलसी के पत्ते, मिश्री और नैवेद्य आदि अर्पित करें। साथ ही श्री विष्णु चालीसा और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। पाठ करने के बाद कपूर या घी के दीपक से आरती कर पूजा का समापन करें।
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