Saturday, November 16, 2024
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BSM BHARTIYA SHIKSHAN MANDAL VIVIBHA 2024 : ” भारत की युवा पीढ़ी देश को अंतरिक्ष विज्ञान में नई ऊंचाइयों पर पहुंचा सकती है ” – एस. सोमनाथ

BSM BHARTIYA SHIKSHAN MANDAL VIVIBHA 2024 : गुरुग्राम स्थित एसजीटी यूनिवर्सिटी में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम "विविभा" में इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने शिरकत की। इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम में संबोधित करते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान के महत्व को समझाना था

BSM BHARTIYA SHIKSHAN MANDAL VIVIBHA 2024 : गुरुग्राम स्थित एसजीटी यूनिवर्सिटी में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम “विविभा” में इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के चेयरमैन डॉ. एस. सोमनाथ ने शिरकत की। इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम में संबोधित करते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान के महत्व को समझाना था। डॉ. सोमनाथ का प्रेरणादायक भाषण विज्ञान, अंतरिक्ष, और भविष्य की चुनौतियों से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित रहा।

BSM BHARTIYA SHIKSHAN MANDAL VIVIBHA 2024

भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान में इसरो की भूमिका

डॉ. एस. सोमनाथ ने अपने संबोधन में इसरो की सफलता और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की यात्रा के बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि इसरो ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक कैसे अंतरिक्ष क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने हाल ही में सफलतापूर्वक लॉन्च किए गए मिशन चंद्रयान-3 और आदित्य-एल1 का उल्लेख किया और बताया कि कैसे ये मिशन अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुए हैं।

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नवाचार और तकनीकी विकास का महत्व

डॉ. सोमनाथ ने छात्रों से कहा कि नवाचार, तकनीकी कौशल, और अनुसंधान भविष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने यह भी कहा कि केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित रहने से कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं होती। इसके बजाय, उन्होंने प्रायोगिक शिक्षा और अनुसंधान के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने यह भी बताया कि इसरो ने सीमित संसाधनों के बावजूद कैसे विश्वस्तरीय उपलब्धियां हासिल कीं। डॉ. सोमनाथ ने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपनी कल्पनाशक्ति और जिज्ञासा का इस्तेमाल करते हुए अंतरिक्ष और विज्ञान के क्षेत्र में कुछ नया करने की कोशिश करें।

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प्रेरणा और युवा पीढ़ी के लिए संदेश

डॉ. सोमनाथ ने युवाओं को यह संदेश दिया कि असफलता को कभी भी बाधा नहीं मानना चाहिए। उन्होंने इसरो के मिशनों के उदाहरण दिए, जहां कई बार असफलताओं का सामना करना पड़ा, लेकिन इनसे सीख लेकर संस्थान ने नई ऊंचाइयों को छुआ। उनके अनुसार, “असफलता विज्ञान और अनुसंधान का अभिन्न हिस्सा है, और यही सफलता की ओर ले जाती है।”

उन्होंने छात्रों से कहा कि वे बड़े सपने देखें और उन्हें साकार करने के लिए कठिन परिश्रम करें। उनके अनुसार, भारत की युवा पीढ़ी में इतनी क्षमता है कि वह देश को अंतरिक्ष विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में नई ऊंचाइयों पर पहुंचा सकती है।

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विज्ञान और प्रौद्योगिकी में रुचि रखने वाले छात्रों से कही बड़ी बात

विविभा कार्यक्रम के दौरान डॉ. सोमनाथ का भाषण न केवल प्रेरणादायक था, बल्कि छात्रों और अध्यापकों के लिए ज्ञानवर्धक भी रहा। छात्रों ने उत्साह के साथ उनकी बातों को सुना और उनसे सवाल पूछे। इस कार्यक्रम ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में रुचि रखने वाले छात्रों को उनके सपनों को साकार करने की दिशा में एक नई प्रेरणा दी।

डॉ. एस. सोमनाथ का एसजीटी यूनिवर्सिटी में यह संबोधन एक यादगार क्षण था। उनके शब्दों ने न केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखांकित किया, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने सीमित संसाधनों के साथ वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाई है। उनका संदेश युवाओं के लिए एक दिशा-सूचक की तरह है, जो उन्हें बड़ी सोच और नए प्रयासों के लिए प्रेरित करता है।

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