Saturday, September 28, 2024
MGU Meghalaya
HomeबिजनेसSupertech को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत, 27000 होम बायर्स आशियाना...

Supertech को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत, 27000 होम बायर्स आशियाना मिलने की उम्मीद जगी

Supertech : सुपरटेक के 27000 बायर्स  को अब अपना घर मिलने की उम्मीद जगी है. दरअसल, अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया है. सुपरटेक लिमिटेड, जो कि एक प्रमुख रियल एस्टेट डेवलपर है, आज वित्तीय संकट का सामना कर रही है, जिसके परिणामस्वरूप हजारों होमबायर्स अपने घरों के पजेशन के लिए वर्षों से इंतजार कर रहे हैं। विशेष रूप से दिल्ली एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में सुपरटेक की परियोजनाएं अटकी पड़ी हैं। यह मामला तब और जटिल हो गया जब 2021 में कंपनी के खिलाफ इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की गई।

इस मामले में एनबीसीसी ने सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप आवेदन (Intervention Application) दाखिल किया है जिसमें उसने सुपरटेक के अटके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की मंजूरी मांगी है। एनबीसीसी के इस प्रस्ताव के अनुसार, वह कुल 51,000 रेजिडेंशियल यूनिट्स, जिन पर काम अधूरा है, को पूरा करेगी। यह प्रस्ताव एम्स और अन्य बड़े सरकारी प्रोजेक्ट्स को सफलतापूर्वक पूरा करने वाली एनबीसीसी की साख पर आधारित है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एनबीसीसी के वकील गोपाल जैन ने बताया कि एनबीसीसी, सुपरटेक की परियोजनाओं को उसी तरह पूरा करना चाहती है, जिस प्रकार उसने आम्रपाली ग्रुप के अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा किया था।

Supertech

आम्रपाली के प्रोजेक्ट्स को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद, एनबीसीसी ने साबित कर दिया है कि वह बड़े पैमाने पर अटके हुए रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स को पूरा कर सकती है। बता दे कि सुपरटेक के इस संकट से हजारों परिवारों के सपने ध्वस्त हो चुके थे, जो वर्षों से अपनी बचत का एक बड़ा हिस्सा इन प्रोजेक्ट्स में निवेश कर चुके थे। ऐसे में इन होमबायर्स को राहत देने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की निर्माण कंपनी एनबीसीसी (नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

एनबीसीसी ने प्रस्ताव रखा है कि उसे सुपरटेक के अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की अनुमति दी जाए, जिससे हजारों होमबायर्स को उनके घरों का पजेशन मिल सके। बता दे कि एनबीसीसी की इस पहल से उम्मीद की जा रही है कि 27,000 से अधिक होमबायर्स को उनके घर का पजेशन मिलेगा, जो वर्षों से अटके हुए थे।

ये भी पढ़ें :  Toll Tax New Rule 2024 : जानिए क्या है टोल वसूली की नई तकनीक ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम

होमबायर्स और अन्य स्टेकहोल्डर्स की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान, होमबायर्स के वकील एम एल लाहोटी ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और संजय कुमार की बेंच को बताया कि एनबीसीसी के इस प्रस्ताव से हजारों होमबायर्स को राहत मिल सकती है। लेकिन इस प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि होमबायर्स और लेंडर्स से एनबीसीसी के इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया मांगी गई है।

नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने बायर्स और लेंडर्स को एनबीसीसी के प्लान पर अपनी आपत्तियां और सुझाव दर्ज कराने के लिए कहा है। एनबीसीसी के प्रस्ताव पर विचार करते समय यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि होमबायर्स और अन्य स्टेकहोल्डर्स के हितों का ध्यान रखा जाए।

Supertech

सुपरटेक की वित्तीय स्थिति और अटके प्रोजेक्ट्स

सुपरटेक के कुल 17 हाउसिंग प्रोजेक्ट्स, जो दिल्ली एनसीआर, बेंगलुरु और देहरादून में स्थित हैं, फिलहाल अधूरे पड़े हैं। कंपनी के पास वित्तीय संसाधनों की कमी के चलते ये प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे नहीं हो पाए हैं। इनमें से अधिकांश प्रोजेक्ट्स में होमबायर्स ने निवेश किया है और अब वे वर्षों से अपने घरों का इंतजार कर रहे हैं।

सुपरटेक की इस स्थिति ने होमबायर्स और निवेशकों के बीच गहरी चिंता उत्पन्न कर दी है। वित्तीय संकट और कानूनी उलझनों के कारण कंपनी ने अपना कामकाज सुचारू रूप से जारी नहीं रख पाया, और अब स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि कंपनी के खिलाफ दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया चल रही है।

एनबीसीसी की क्षमता और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका

एनबीसीसी का भारतीय निर्माण उद्योग में एक प्रतिष्ठित स्थान है और उसने अतीत में बड़े पैमाने पर परियोजनाएं सफलतापूर्वक पूरी की हैं। एनबीसीसी के पास न केवल सरकारी बल्कि निजी क्षेत्र की परियोजनाओं को पूरा करने का भी व्यापक अनुभव है। ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट एनबीसीसी को सुपरटेक के अटके हुए प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की अनुमति देता है, तो यह होमबायर्स के लिए एक महत्वपूर्ण राहत होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 1 अक्टूबर 2024 को सुनवाई की तारीख निर्धारित की है, जहां एनबीसीसी के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। यह सुनवाई इस लिहाज से अहम है क्योंकि इसमें तय किया जाएगा कि एनबीसीसी को सुपरटेक के अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने का अधिकार मिलेगा या नहीं।

 

वित्तीय संकट और रियल एस्टेट क्षेत्र में गिरावट

सुपरटेक का यह संकट सिर्फ एक व्यक्तिगत कंपनी का संकट नहीं है, बल्कि यह पूरे भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में व्याप्त गंभीर वित्तीय संकट का प्रतीक है। कई रियल एस्टेट डेवलपर्स वित्तीय तंगी का सामना कर रहे हैं, जिससे प्रोजेक्ट्स अधूरे रह जाते हैं और होमबायर्स को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। रियल एस्टेट डेवलपर्स की समस्याओं के कारण कई परिवारों को आर्थिक और भावनात्मक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

सुपरटेक का यह मामला दर्शाता है कि रियल एस्टेट सेक्टर में कानूनी और वित्तीय सुधारों की कितनी जरूरत है। साथ ही, सरकार और न्यायपालिका की भूमिका इस संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है कि वे होमबायर्स के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएं।

सुपरटेक के 27,000 से अधिक होमबायर्स के लिए एनबीसीसी का प्रस्ताव एक बड़ी राहत साबित हो सकता है, यदि सुप्रीम कोर्ट इसे मंजूरी देता है। एनबीसीसी के पास अटके हुए प्रोजेक्ट्स को पूरा करने का अनुभव और क्षमता है, और इस प्रस्ताव के जरिए हजारों परिवारों को उनका घर मिल सकता है। अब सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट पर हैं, जो 1 अक्टूबर 2024 को इस मामले पर अंतिम निर्णय करेगी।

यदि यह प्रस्ताव स्वीकृत होता है, तो यह भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में एक महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है, जहां सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की मदद से अटके हुए प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा किया जा सकता है। होमबायर्स, जो वर्षों से अपने घरों का इंतजार कर रहे हैं, अब इस उम्मीद में हैं कि जल्द ही उन्हें अपने आशियाने का पजेशन मिलेगा।

- Advertisment -
Most Popular