Sunday, November 10, 2024
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Kolkata Doctor Case : कोलकाता रेप केस में बड़ा अपडेट, अस्पताल के डॉक्टर का दावा सबूतों के साथ हुआ छेड़छाड़

Kolkata Doctor Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी का मामला दिन-प्रतिदिन नये खुलासों और विवादों के कारण चर्चा में बना हुआ है। इस घटना ने न केवल चिकित्सा समुदाय को झकझोर दिया है, बल्कि राज्य की कानून व्यवस्था और पुलिस प्रशासन पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

इस मामले में इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात एक डॉक्टर ने कोलकाता पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पुलिस ने घटना के बाद क्राइम सीन से छेड़छाड़ की हो सकती है। इस आरोप ने मामले को और पेचीदा बना दिया है और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या था घटना ?

यह घटना 30 अगस्त की रात की है जब आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर की रेप के बाद हत्या कर दी गई। इस घटना ने न केवल कॉलेज परिसर बल्कि पूरे राज्य में सनसनी मचा दी। पुलिस ने पहले इस मामले को आत्महत्या का मामला बताया था, लेकिन बाद में जांच के दौरान यह मामला हत्या का निकला। इस घटना के बाद कॉलेज के डॉक्टरों ने भी प्रदर्शन शुरू कर दिया, और पारदर्शिता की मांग की।

डॉक्टर के आरोप | Kolkata Doctor Case

उस रात इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने एबीपी न्यूज से एक्सक्लूसिव बातचीत में पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। डॉक्टर का कहना है कि पुलिस झूठ बोल रही है और आपातकालीन मेडिकल वार्ड में स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) का पालन नहीं किया गया, जिससे न केवल मृत्यु के समय में देरी हुई, बल्कि पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया में भी देरी हुई। डॉक्टर ने आगे कहा कि वायरल वीडियो में दिखाए गए लोग अपराध स्थल से संबंधित नहीं थे, फिर भी उन्हें वहां प्रवेश करने दिया गया, जिससे सबूतों से छेड़छाड़ की संभावना बढ़ गई।

क्राइम सीन से छेड़छाड़ का शक | Kolkata Doctor Case

डॉक्टर के अनुसार, क्राइम सीन से छेड़छाड़ के संकेत हैं क्योंकि वायरल वीडियो में दिखाई देने वाले लोग उस समय वहां नहीं होने चाहिए थे। यह भी आरोप लगाया गया है कि पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया में देरी हुई, जिससे पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर संदेह पैदा हो गया। डॉक्टर ने आरोप लगाया कि पोस्टमॉर्टम आरजी कर मेडिकल कॉलेज में किया गया, जबकि आंदोलन और पारदर्शिता की मांग के चलते इसे किसी अन्य मेडिकल कॉलेज में किया जाना चाहिए था। इस मामले में पुलिस की घेराबंदी और वायरल वीडियो की असंगतता ने संदेह को और गहरा कर दिया है कि क्राइम सीन से छेड़छाड़ की गई हो सकती है।

आरजी कर मेडिकल कॉलेज में विरोध प्रदर्शन

आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना ने डॉक्टरों के बीच उबाल ला दिया है। डॉक्टरों का आरोप है कि कॉलेज प्रशासन और पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और एसओपी का पालन नहीं किया। इसके चलते डॉक्टर्स ने कॉलेज के बाहर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। इस मामले में कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ संदीप घोष की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि संदीप घोष ने मामले को दबाने की कोशिश की थी, जिससे कॉलेज में पारदर्शिता की कमी का माहौल बना।

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सीबीआई की जांच और संदीप घोष की गिरफ्तारी

इस मामले की जांच में जब और गहराई से देखा गया तो सीबीआई ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ संदीप घोष को वित्तीय अनियमितता में संलिप्तता को लेकर गिरफ्तार किया। उनके साथ तीन अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है, जिनमें सुरक्षाकर्मी अफसर अली और अस्पताल के

विक्रेता बिप्लव सिंघा और सुमन हजारा शामिल हैं। ये तीनों लोग अस्पताल में चीजों की सप्लाई के काम से जुड़े थे। संदीप घोष की गिरफ्तारी के बाद यह मामला और भी गंभीर हो गया है, क्योंकि इससे कॉलेज प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ खड़े हुए हैं।

कॉलेज प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर सवाल

डॉ संदीप घोष की गिरफ्तारी के बाद, डॉक्टरों के एक बड़े समूह ने पुलिस और कॉलेज प्रशासन पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि कॉलेज प्रशासन ने इस मामले में न केवल देरी की बल्कि मामले को दबाने का भी प्रयास किया। पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि कई बार ऐसी घटनाओं में पुलिस की लापरवाही या मिलीभगत के कारण सबूतों से छेड़छाड़ की संभावना बढ़ जाती है।

डॉक्टरों का आरोप है कि क्राइम सीन को सही तरीके से सुरक्षित नहीं किया गया और वहां गैर संबंधित लोगों की उपस्थिति ने मामले को और संदिग्ध बना दिया। पुलिस ने जहां इसे आत्महत्या के रूप में पेश किया था, वहीं बाद में मिले सबूतों ने इसे रेप और मर्डर का मामला बना दिया।

पारदर्शिता की मांग

घटना के बाद से ही डॉक्टरों ने पारदर्शिता की मांग की है। उनका कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और पुलिस की जांच में पारदर्शिता होनी चाहिए ताकि दोषियों को सजा मिल सके। डॉक्टरों का कहना है कि अगर इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे।

घटना का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

इस घटना का प्रभाव केवल मेडिकल कॉलेज तक सीमित नहीं है। कोलकाता के मेडिकल कॉलेजों में पहले से ही डॉक्टरों और प्रशासन के बीच तनाव बना हुआ है, और इस घटना ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है। इस घटना के बाद राज्य सरकार और पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं, जिससे राज्य की राजनीति में भी उबाल आ सकता है।

आरजी कर मेडिकल कॉलेज के मामले ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर राज्य सरकार की आलोचना की है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

डॉक्टरों की सुरक्षा पर सवाल

इस घटना ने डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल में काम करने के दौरान उनकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। इस मामले में एसओपी का पालन न करने के कारण न केवल पीड़िता की मौत हुई, बल्कि इसके बाद की जांच में भी देरी और गलतियां हुईं।

डॉक्टरों ने सरकार से मांग की है कि अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए सख्त नियम बनाए जाएं और उनका पालन सुनिश्चित किया जाए। साथ ही, उन्होंने कहा कि इस मामले में दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना ने चिकित्सा समुदाय, राज्य सरकार, और पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इस मामले में पारदर्शिता और निष्पक्ष जांच की मांग ने इसे एक बड़े सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे के रूप में उभारा है। डॉक्टरों की सुरक्षा, प्रशासनिक पारदर्शिता, और न्याय की मांग को लेकर उठे सवालों का जवाब देना राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।

इस घटना से संबंधित सभी तथ्यों की जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ सकेगी, लेकिन तब तक यह मामला राज्य की राजनीति और समाज में चर्चा का प्रमुख विषय बना रहेगा।

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