RBI की डिजिटल करेंसी CBDC की मंगलवार को मंगलमय शुरुआत हुई है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले केवल होलसेल सेगमेंट में बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियों यानी गवर्नमेंट सिक्योरिटीज के लेनदेन के लिए इस करेंसी के इस्तेमाल की इजाजत मिली है। इस पायलट प्रोजेक्ट में 9 बैंक शामिल हैं। इनमें से कई बैंकों ने पहले दिन ही डिजिटल वर्चुअल करेंसी का इस्तेमाल करते हुए सरकारी बॉन्ड से जुड़े 48 सौदे किए जिनकी कुल वैल्यू 275 करोड़ रुपये है।
भारत में फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ही डिजिटल करेंसी (Digital Currency) का इस्तेमाल किया जा रहा है। कई फेज में ये पायलट प्रोजेक्ट आगे बढ़ाया जाएगा और सभी खामियों को दूर करने के बाद हर किसी को इस करेंसी के इस्तेमाल की इजाजत मिल सकती है। शुरुआत में जिन 9 बैंकों को इसमें हिस्सा लेने की मंजूरी मिली है उनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC बैंक, ICICI बैंक कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC बैंक शामिल हैं। पहले दिन कुल 275 करोड़ के ट्रांजेक्शंस को एक अच्छी शुरुआत बताया जा रहा है।
आपको बताते चले कि, अटलांटिक काउंसिल के अनुसार, जी-20 देशों के समूह में से 19 देश डिजिटल मुद्रा की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं। बीते छह महीने में भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, रूस इस दिशा में सबसे बेहतर स्थिति में हैं। वहीं अमेरिका, ब्रिटेन और मेक्सिको अभी इस पर शोध कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 105 देशों की वैश्विक जीडीपी में 95 फीसदी हिस्सेदारी है। मई 2020 में सीबीडीसी पर विचार करने वाले देशों की संख्या मात्र 35 थी, जो अब बढ़कर 100 हो गई है।
ई-रुपी कैसे काम करेगा?
यह एक वाउचर है जिसे हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। यानी केवल वही इसका इस्तेमाल कर सकेगा, जिसके लिए यह जारी किया गया है। ई-रुपी वाउचर जारी होने के बाद इसका इस्तेमाल एक ही बार किया जा सकता है। यह कैशलेस और कॉन्टैक्टलैस है। ई-रुपी लाभार्थी के मोबाइल पर भेजा जाएगा। यह क्यूआर कोड या एसएमएस कोड के रूप में होगा। इन्हें स्कैन किया जा सकेगा। लाभार्थी के वेरिफिकेशन के लिए एक कोड लाभार्थी के मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा। वेरिफिकेशन होने पर वाउचर रिडीम हो जाएगा और तुरंत भुगतान हो जाएगा।
अन्य डिजिटल पेमेंट से अलग कैसे है?
सीबीडीसी में कैश हैंडओवर करते ही इंटरबैंक सेटलमेंट की जरूरत नहीं रह जाएगी। इससे डिजिटल पेमेंट सिस्टम की तुलना में लेनदेन ज्यादा रियल टाइम और कम लागत में होगा। यह किसी मध्यस्थ की भागीदारी के बिना सेवा प्रदाता को समय पर भुगतान की गारंटी देता है। ई-रूपी बिना किसी भौतिक इंटरफेस के सर्विस इनीशिएटर्स को लाभार्थियों और सेवा प्रदाताओं के साथ डिजिटल रूप से जोड़ता है। साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि लेन-देन पूरा होने के बाद ही सेवा प्रदाता को भुगतान हो।