Sunday, November 24, 2024
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Khooni Darwaja: क्या है खूनी दरवाजे के पीछे का रहस्य? जानें पूरा सच

Khooni Darwaja: MP में स्थित चंबल घाटी का नाम तो आपने जरूर सुना होगा। चाहे वो चोरी डकैती हो या कुछ भूतिया घटनाएं, ऐसी कई कहानियां तो आपने जरुर सुनी होंगी, लेकिन क्या आप चंबल के खूनी दरवाजे के बारे में जानते हैं। जी हां, कहा जाता है कि चंबल की घाटियों में एक ऐसा दरवाजा है, जिसे खूनी दरवाजा कहा जाता है। ऐसे क्यों, ये भी सुनकर आप हैरान हो जाएंगे। दरअसल, चंबल में स्थित देवगिरी दुर्ग जिसका जिक्र महाभारत में भी हो चुका है। इसे अटेर का किला भी कहा जाता है, लेकिन इसके अलावा भी इसका एक नाम है और वो है- खूनी दरवाजे का किला। आपको बता दें कि ये किला MP के भिंड में स्थित चंबल नदी के किनारे एक ऊंचे स्थान पर बना हुआ है, जिसे भदौरिया वंश के राजा बदन सिंह ने 1664 से 1668 के बीच बनवाया था। वहीं आज के समय में यह एक पर्यटक स्थल बना दिया गया है, जहां कई लोग घूमने जाते हैं।

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इस किले के बारे में कई अद्भुत और रहस्यमयी कहानियां है, जो काफी प्रचलित हैं। इनमें से एक हैं खूनी दरवाजे की कहानी। दरअसल, मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि राजा बदन सिंह के राज के समय इस दरवाजे पर भेड़ का सिर काटकर रख दिया जाता था और नीचे एक कटोरा रख दिया जाता था, जिस पर खून टपकता था। इस कहानी को लेकर यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि राजा से मिलने वाले गुप्तचरों को खूनी दरवाजे से गुजरना पड़ता था और तब उनको खून का तिलक लगाया जाता था। ये तिलक की रस्म पूरी करने के बाद ही उनकी राजा से मुलाकात हो पाती थी।

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वहीं अगर पर्यटन के रुप से देखें, तो खूनी दरवाजे के अलावा इस किले के अंदर देखने लायक आज भी कई स्थान हैं, जिनमें बदन सिंह का महल भी खास है। इसके अलावा हथियापोर, राजा का बंगला, रानी का बंगला, और बारह खंबा महल जैसी जगहें इस किले का मुख्य आकर्षण केंद्र हैं।

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