नए संसद भवन के उद्घाटन से पहले देश की राजनीति में इसको लेकर बवाल मच गया है। 19 विपक्षी पार्टियों ने उद्घाटन समारोह में शामिल होने से इनकार कर दिया। उन्होंने इस समारोह का बहिष्कार करने को कहा है। दरअसल, विपक्षी नेताओं संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराने की मांग कर रहे हैं। वहीं विपक्षी नेता उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करने को लेकर भी सरकार पर हमलावर है। इसके विरोध में ही उन्होंने कार्यक्रम का बॉयकॉट करने का फैसला लिया है।
हिमंता बिस्वा सरमा ने यूं दिया विपक्ष को जवाब
इस बीच अब विपक्षी नेताओं के इस विरोध पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि पिछले 9 सालों में 5 गैर-बीजेपी/विपक्षी राज्य सरकारों ने या तो नए विधानसभा भवन का उद्घाटन किया या फिर शिलान्यास किया। यह सब मुख्यमंत्री ने या फिर पार्टी अध्यक्ष ने किया है। इस दौरान एक बार भी राज्यपाल या राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किया गया।
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इस दौरान हिमंता बिस्वा सरमा उन राज्यों का उदाहरण भी देते नजर आए, जब गैर बीजेपी शासित राज्यों में विधानसभा का शिलान्यास या उद्घाटन किया गया, लेकिन इन कार्यक्रमों में राज्यपाल को आमंत्रित नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि 2014 में UPA के मुख्यमंत्रियों ने झारखंड और असम में विधानसभा भवन का शिलान्यास किया था। इस दौरान राज्यपाल को आमंत्रित नहीं किया गया। वहीं 2018 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा नई विधानसभा की नींव रखी गई। इसमें भी राज्यपाल को नहीं बुलाया गया। साथ ही 2020 में सोनिया गांधी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा का शिलान्यास किया गया, तब भी राज्यपाल को न्योता नहीं दिया गया। इसी तरह 2023 में तेलंगाना विधानसभा का उद्घाटन मुख्यमंत्री के द्वारा किया गया था, तब राज्यपाल को नहीं बुलाया गया।
“अपना चेहरा बचाने के लिए…”
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि बहिष्कार स्पष्ट है। विपक्ष के द्वारा संसद भवन के निर्माण का विरोध किया जा रहा है क्योंकि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि निर्माण इतनी जल्दी पूरा हो जाएगा। विपक्ष के लिए सब कुछ बाउंसर की तरह हुआ है। बस अपना चेहरा बचाने के लिए वो बहिष्कार का नाटक कर रहे हैं। इसके साथ ही असम के मुख्यमंत्री ने आगे ये भी कहा कि वीर सावरकर से जुड़े दिन संसद भवन खुलेगा, यह उनके लिए समारोह का विरोध या बहिष्कार करने का एक और कारण हो सकता है।
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