Monday, November 25, 2024
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Shani Jayanti 2023 : शनि जयंती कब? जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त

Shani Jayanti 2023 : हिंदू धर्म में शनि जयंती का विशेष महत्व है। खासतौर पर ये दिन शनि देव को समर्पित होता है। इस दिन लोग शनि देव का आशीर्वाद पाने के लिए उनकी विधि पूर्वक पूजा अर्चना करते हैं। हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि का शनि जमंती मनाई जाती हैं। इस बार ये 19 मई 2023, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। प्रचलित मान्यात के अनुसार, इस दिन शनि देवता की उपासना करने से व्यक्ति को शनि प्रकोप से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा कहा जाता है कि जिसकी कुड़ली में शनि दोष, ढैय्या और साढ़े साती होती है, उसे तो शनि जयंती (Shani Jayanti 2023) के दिन विधि विधान से देवता की आराधना जरूर करनी चाहिए। इससे उसे लाभ जरूर मिलता है।

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शनि देव की पूजा का मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 18 मई 2023 को सुबह 09 बजकर 42 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन 19 मई 2023 को रात 09 बजकर 22 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयतिथि के आधार पर शनि जयंती (Shani Jayanti 2023) 19 मई 2023 को मनाई जाएगी। हालांकि, इस बार शनि देवता (Shani Jayanti 2023) की पूजा के तीन शुभ मुहूर्त पड़ रहे हैं। जो है-

  • प्रात: मुहूर्त- सुबह 07.11 से लेकर सुबह 10.35 तक
  • दोपहर मुहूर्त- दोपहर 12.18 से लेकर दोपहर 2 बजे तक
  • शाम मुहूर्त- शाम 05.25 से लेकर शाम 07.07 तक

शनि देव को प्रसन्न करने के उपाय

  • शनि देवता को प्रसन्न करने के लिए शनि जयंती के दिन (Shani Jayanti 2023) व्रत जरूर रखें।
  • शनि जयंति के दिन शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें।
  • इस दिन ब्रह्मा मुहूर्त में सन्ना करें और उसके बाद शनि मंदिर जाकर देवता की उपासना करें।
  • शनि देव की पूजा करने के बाद उन्हें सरसों का तेल और तिल जरूर चढ़ाएं। इससे वह बहुत प्रसन्न होते है और अपने भक्तों के सभी कष्ट हर लेते हैं।
  • इसके अलावा शनि जयंति के दिन सुंदरकांड का पाठ करना भी फलदायक होता है। कहा जाता है कि इससे मनुष्य के रुके हुए सभी कार्य पूर्ण हो जाते हैं।

शनि देवता के प्रभावी मंत्र (Shani Jayanti Mantra)

  • ॐ शं शनैश्चराय नमः।।
  • ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
  • ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
  • ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।।
  • ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।।

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