18 मार्च को अमृतपाल सिंह के खिलाफ एक्शन लिया गया था, तभी से वो फरार चल रहा था। हालांकि 23 अप्रैल रविवार को अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी हो चुकी है। गिरफ़्तारी के बाद अमृतपाल को असम डिब्रूगढ़ ले जाया गया। गिरफ्तारी के बाद पंजाब के CM भागवंत मान ने कहा कि आज 35 दिन बाद अमृतपाल की गिरफ्तारी हुई है जो राज्य की अमन, शांति को ख़राब करना चाहता था। ये कहते हुए उन्होंने ख़ुशी ज़ाहिर की।
क्या है पूरा विवाद?
पंजाब के अमृतसर में 23 फरवरी को ‘ वारिस पंजाब दे’ के समर्थक ने अजनाला पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया था । बन्दूक, तलवार और लाठियां लेकर ‘वारिस पंजाब दे’ के समर्थकों ने अमृतपाल के करीबी लवप्रीत तूफान के गिरफ़्तारी के विरोध में थाने का घेराव किया।
भीड़ को रोकने के लिए पुलिस ने बेरिकेड का इंतज़ाम किया था, लेकिन आक्रोशित प्रदर्शनकारी उसे भी तोड़ते हुए अंदर घुस गए। इस झड़प के दौरान 6 पुलिसकर्मी घायल हुए। हंगामे की जानकारी के बाद अमृतपाल सिंह भी अजनाला थाना पहुंच गए और कहा कि FIR सिर्फ एक राजनीति मकसद से की गयी है। और उन्होंने कहा की अगर एक घंटे में FIR वापस नहीं होती है तो उसके बाद जो अंजाम होगा उसके ज़िम्मेदार पुलिस प्रशासन होंगे। जिसके बाद वहां के कमिश्नर ने लवप्रीत को छोड़ने का आश्वासन दिया। बता दें कि लवप्रीत तूफान पर किडनैप करके बुरी तरह से पीटने का आरोप लगा है।
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कौन है अमृतपाल सिंह ?
पंजाब की राजनीति में अमृतपाल सिंह कुछ समय से चर्चा में है। 29 वर्ष के अमृतपाल सिंह खालिस्तानी समर्थक दीप सिद्धू के संगठन ‘ वारिस पंजाब दे ‘ का प्रमुख है, और वह एक अलग सिख राज्य का मांग करता है। जानकारी के मुताबिक वह सिख धर्म के प्रसार के लिए अमृत अभियान चलता था। उन्होंने इसका प्रचार -प्रसार राजस्थान श्रीनगर जैसे कई शहरों में किया, जिसमे सैकड़ो लोगों को अमृत ग्रहण करवाया।
अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह को लेकर 15 दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक बैठक हुई, जिसमें कई अहम खुलासे हुए, अमृतपाल सिंह’ खालसा वाहिर अभियान और AKF को मजबूत की कोशिश करता था। इस संगठन का मकसद गोला, बारूद का समर्थन करने वालों को शामिल करना और साथ ही अमृतपाल के खालिस्तान के विचारों को फैलाना था।
पाकिस्तान एंगल-
जानकारी के मुताबिक अमृतपाल सिंह 2012 में दुबई गया था, और वहां उन्होंने ट्रांसपोर्ट के कारोबारी में ड्राइवर के तौर पर काम किया था। उस दौरान वह जसवंत सिंह रोडे के संपर्क में आ गया जिसका कनेक्शन पाकिस्तान के खालिस्तानी समर्थक से था, उन्होंने ही अमृतपाल को ISI तक पहुंचाया जहां उन्हें पंजाब में खालिस्तानी भावनाओं को भड़काने के लिए रुपए पेश किये गए।
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