Friday, November 22, 2024
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रजत शर्मा के ट्वीट पर आगरा कोर्ट के संज्ञान न लिए जाने के बाद अपीलकर्ता ने खटखटाया इलाहाबाद हाइकोर्ट का दरवाजा

देश के जाने-माने न्यूज़ एंकर रजत शर्मा एक बार फिर चर्चा में हैं। दरअसल, उन्होंने साल 2021 में एक ट्वीट किया था जिसे कुछ लोगों ने एससी-एसटी का अपमान बताया। उस समय याचिकाकर्ता मुकेश कुमार चौधरी ने रजत शर्मा के ट्वीट पर आपत्ति जताते हुए आगरा कोर्ट में केस दर्ज कराने की कोशिश की। लेकिन कोर्ट ने ये कहकर याचिका को खारिज करते हुए इस मामले पर सुनवाई से इनकार कर दिया कि ये फ्रीडम ऑफ स्पीच है तथा भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति और किसी के लिए अपमानजनक प्रतीत नहीं होता है। कोर्ट के इस मामले पर सुनवाई से इनकार करने के बाद अब याचिकाकर्ता मुकेश कुमार चौधरी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

मुकेश कुमार चौधरी ने आगरा कोर्ट के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष अपील की है कि न्यायालय आगरा कोर्ट के इस मामले पर संज्ञान लेने का निर्देश दे। मुकेश की अपील पर कल इलाहाबाद हाइकोर्ट सुनवाई करेगी। मुकेश कुमार चौधरी के अनुसार रजत शर्मा के ट्वीट में जिस तरह से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग को निम्न जाति के रूप में प्रस्तुत किया गया है वह अपमानजनक, आपत्तिजनक और भारतीय संविधान द्वारा निषिद्ध है। अपीलकर्ता का यह भी दावा है कि यह खुले मीडिया में किया जाता है और कथित ट्वीट को देखने के बाद उसकी भावनाएं आहत हुई हैं। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को कथित तौर पर “निम्न/छोटी जाति” के रूप में संदर्भित करने के लिए इंडिया टीवी के अध्यक्ष और प्रधान संपादक रजत शर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने से आगरा कोर्ट के इनकार के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील की है। बता दें कि मुकेश चौधरी की ये अपील आगरा कोर्ट के फैसले को चुनौती देती है।

रजत शर्मा का ट्वीट

बात अगर रजत शर्म के ट्वीट की करें तो रजत शर्मा ने अपने ट्वीट में लिखा था – “कल मोदी के कैबिनेट के विस्तार में 25 से ज्यादा ओबीसी, एससी और एसटी के चेहरे दिखेंगे। 20 छोटे छोटे वर्गों के लीडर्स को जगह दी जाएगी। पिछड़े और बदहाल समाज के कई नेता मंत्री बनेंगे #CabinetExpansion.” बता दें कि रजत शर्मा के इसी ट्वीट को लेकर मुकेश कुमार चौधरी ने पहले आगरा कोर्ट और अब आगरा कोर्ट द्वारा इस मामले पर संज्ञान न लिए जाने के बाद इलाहाबाद हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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