Friday, November 22, 2024
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होलाष्टक : जानिए वो 8 दिन क्यों होते हैं अशुभ ?

Holashtak 2023 : देशभर में होली का त्यौहार बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता हैं। इस दिन सभी गीले शिकवे को भूलकर लोग एक दूसरे को रंग लगाते है। होली से एक दिन पहले रात को होलिका दहन भी की किया जाता है। जबकि होली से पहले के 8 दिनों को होलाष्टक कहा जाता हैं। जो धार्मिक मान्यता के अनुसार बहुत ज्यादा अशुभ होते है। इसलिए इसमें कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी, गृह प्रवेश और मुंडन नहीं किया जाता है। साथ ही कोई भी शुभ कार्य का शुभ आरंभ भी नहीं होता है।

हर वर्ष फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को होलाष्टक (Holashtak 2023) का आरंभ होता है, जो होलिका दहन यानि फाल्गुन पूर्णिमा तक रहता है। आज हम आपको इस आर्टिकल में ये बतांएगे कि इस बार होलाष्टक कब से आरंभ हो रहा है, कब समाप्त होगा और होलाष्टक को अशुभ क्यों माना जाता है आदि-आदि।

होलाष्टक का प्रारंभ और समापन की तिथि

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इस बार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 27 फरवरी 2023 की सुबह 12 बजकर 58 से होगा, जिसका समापन अगले दिन यानि 28 फरवरी को तड़के 02 बजकर 21 मिनट पर होगा। बता दें कि इस साल फाल्गुन अष्टमी 27 फरवरी को हैं, जिससे होलाष्टक (Holashtak 2023) का प्रारंभ होगा। जबकि होलाष्टक का समापन 07 मार्च 2023 को होगा।

हालांकि इस बार होलाष्टक के दिन फाल्गुन पूर्णिमा भी पड़ रही है, जिसका प्रारंभ 06 मार्च की शाम 04 बजकर 17 मिनट से होगा और समापन 07 मार्च की शाम 06 बजकर 09 मिनट पर होगा। वैसे तो होलाष्टक 8 दिनों का ही होता है लेकिन कई बार तिथियों के समय में बदलाव होने से ये 9 दिन का भी हो जाता हैं। इसलिए इस बार होलाष्टक (Holashtak 2023) 8 दिन की जगह 09 दिनों का है।

इस वजह से अशुभ होता हैं होलाष्टक

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पौराणिक कथा के अनुसार दो वजह से होलाष्टक को अशुभ माना जाता हैं। जो है-

  • मान्यता के अनुसार फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर फाल्गुन पूर्णिमा तक भगवान विष्णु भक्त प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप ने उन्हें मारने का प्रयास किया था। इस समय उन्हें कई बार कष्ट दिए गए थे। इसके अलावा अपने भाई के कहने के बाद फाल्गुन पूर्णिमा के दिन बहन होलिका ने प्रह्लाद को जलाकर मारने का प्रयास किया था। लेकिन वह प्रह्लाद की जगह खुद जलकर मर गई। इसीलिए इन 8 दिनों (Holashtak 2023) को बहुत ज्यादा अशुभ माना जाता हैं।
  • एक अन्य हिन्दू पौराणिक कथा के मुताबिक, फाल्गुन शुक्ल अष्टमी के दिन शिव जी ने कामदेव को जलाकर भस्म कर दिया था। क्योंकि कामदेव और उनकी पत्नी ने भगवान शिव का ध्यान भंग किया था। इसके बाद रति ने महादेव से क्षमा मांगी, जिसके बाद शिव जी ने कामदेव को द्वापर युग में कृष्ण जी के पुत्र के रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। पति को खो देने के दुःख में रति ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक पश्चाताप किया। इस वजह से भी होलाष्टक (Holashtak 2023) को बहुत ज्यादा अशुभ माना जाता हैं।

Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि southblockdigital.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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